नई दिल्ली: 2 मिनट में पकने वाली मैगी नूडल के दीवानों की कमी नहीं । लगभग हर घर में बननेवाली मैगी पर देशभर में बैन लग सकता है। FSSAI ने देशभर में मैगी के सैंपल्स की जांच के आदेश दिए है। FSSAI ने यह कार्रवाई यूपी खाद्य विभाग की रिपोर्ट के बाद की है। 

इससे पहले एक सैंपल जांच के दौरान मैगी में घातक कैमिकल होने की बात सामने आई थी जो सेहत के लिए नुकसानदेह होती है । यूपी खाद्य नियामक प्राधिकरण ने मैगी की जांच करने पर पाया था कि उसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल (एमएसजी) की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई गई ।  

पिछले दिनों यूपी के बाराबंकी जिले से मैगी के 12 अलग-अलग सैम्पल लेकर केंद्र सरकार की कोलकाता स्थित लैब में टेस्ट कराया गया था। रिपोर्ट में मैगी के इन पैकेटों में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पाई गई , यह तय सीमा से लगभग सात गुना ज्‍यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक मैगी नूडल्‍स में लेड और मोनोसोडियम ग्‍लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा खतरनाक स्‍तर पर पाई गई। लेड की स्‍वीकार्य योग्‍य सीमा 0.01 पीपीएम से 2.5 पीपीएम के बीच है। एफडीए ने इस बाबत जानकारी वाली एक चिट्ठी लिख FSSAI को दी थी। जिसके बाद FSSAI के कदम का इंतजार किया जा रहा था। 

इस रिपोर्ट में मैगी में प्रति दस लाख 17वां भाग सीसा पाया गया है जबकि अनुमति प्राप्त सीमा 0.01 है। इसपर कंपनी ने सफाई दी थी कि मैगी में सीसा की मात्रा नगण्य है और निर्धारित 1 फीसदी से भी कम है। गौर हो कि मैगी में इस रसायन की मौजूदगी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है।