लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि इस दौरान जनता का हाल बेहाल हुआ है। काला धन वापस लाने, महंगाई घटाने और अच्छे दिन के वादे जुमले साबित हुए। बड़बोली सरकार की पोल खुल चुकी है।

आज यहां दी प्रतिक्रिया में भाकपा (माले) के राज्य सचिव रामजी राय ने कहा कि हाल की भीषण फसल तबाही से किसानों को उबारने में केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम रही, क्योंकि किसान आत्महत्याओं का सिलसिला प्रदेश समेत अब पूरे देश में फैल गया है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाकर सरकार कार्पोरेट और अमीर पक्षधर के रुप में कुख्यात हुई है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’, और ‘जन-धन योजना’ जैसे नारों से मोदी सरकार अपने कार्पोरेट-पक्षधर हमलों को ढंकने की कोशिश कर रही है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि राजग सरकार ने मनरेगा और खाद्यान्न सुरक्षा को कमजोर करने का प्रयास किया। श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूर अधिकारों को एक तरह से बेअसर कर दिया। प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण को बढ़ावा दिया।

राज्य सचिव ने कहा कि पहली बार बहुमत से आई भाजपा सरकार का पूरा फायदा उठाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपना सांप्रदायिक एजेंडा लागू कर रहा है। मोदी समर्थक भ्रम फैला रहे हैं कि सांप्रदायिक अभियान तथाकथित हाशिये के तत्वों का काम है, पर यह साफ जाहिर है कि संघ पूरे देश में अपनी रणनीति पर विधिवत सोच-समझ कर प्रयोग कर रहा है।

माले नेता ने कहा कि भाजपा ने भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों पर बुरी तरह बदनाम कांग्रेस को हराते हुए और अच्छे दिनों का सपना दिखाते हुए गद्दी हासिल की थी। लेकिन जनता से किए गए वादों को पूरा न कर पाने और गरीबों-किसानों-मजदूरों के हितों के विरुद्ध काम करने के कारण अब लोगों का भाजपा की सरकार से मोहभंग होने लगा है।