लखनऊ: “दैवीय आपदा के कारण खस्ताहाल किसानों की नहीं बल्कि चीनी मिल मालिकों की हिमायती है प्रदेश सरकार” यह आरोप लगाते हुये राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश  अध्यक्ष मुन्ना सिंह चैहान ने कहा कि मौसम की मार से टूट चुके किसानों को राहत देने के बजाय प्रदेष सरकार उनका शोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-13 तथा 2013-14 पेराई सत्र के गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए उच्च न्यायालय के ब्याज सहित भुगतान किये जाने के आदेष के बावजूद भुगतान करा पाने में असफल सरकार ने मिल मालिकों का पक्ष लेते हुये गन्ना किसानों को मिलने वाले ब्याज को माफ करने का फैसला लेकर अपने किसान विरोधी रवैये पर एक बार फिर मुहर लगायी है।

चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में किसान दैवीय प्रकोप के कारण अपनी अजीविका चला पाने में अपने को अक्षम महसूस कर रहा है ऐसे में एक और आर्थिक झटका उसकी कमर तोड़ने के लिए पर्याप्त होगा यदि प्रदेश सरकार चीनी मिल मालिकों को राहत देना ही चाहती है तो उसे अपने पास से ब्याज की भरपाई करनी चाहिए। किसानों को मिलने वाले ब्याज को माफ करने का नैतिक अधिकार सरकार को नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेष की 168 समितियां कमीशन के पैसे से ही अपना संचालन करती हैं उनके कमीशन को घटाकर प्रदेश सरकार ने समितियों का अस्तित्व समाप्त करने का मन बना लिया। उन्होंने प्रदेश  सरकार की कैबिनेट के फैसले पर सवाल उठाते हुये कहा कि समितियों के मृत प्राय हो जाने से मिल मालिकों की मनमानी और बढ़ जायेगी क्योंकि सरकार और चीनी मिल प्रबन्धन के बीच किसानों का पक्ष रखने के लिए समितियां ही कार्य करती है। प्रदेष सरकार के इस फैसले से गन्ना किसान और प्रदेष के चीनी उद्योग पर खतरे के बादल मड़राने लगेगे।

श्री चैहान ने वर्तमान प्रदेष सरकार को पिछली सरकार की तर्ज पर सरकारी समितियों को बेचने का आरोप लगाते हुये कहा कि प्रदेष सरकार सहकारी क्षेत्रों के बंद पड़े 56 कोल्ड स्टोरेज को पुर्नजीवित करने के बजाय उन्हें बेचने का फैसला लेकर किसानों के उपर एक और हमला किया है। उन्होंने कहा कि किसानों पर चैतरफा हमला कर रही सरकारों को समय आने पर प्रदेष की जनता सत्ता से बेदखल करके उनके किये गये कर्मों की सजा देगी।