लखनऊ:राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान के यहां ऐसे कई जिलों के कई मामले लंबित है जिसमें खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग सब रजिस्ट्रार, फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स से इसी तरह की सूचनाएं मांगी गई हैं। अपील के दौरान सरकारी धन के बडे़ पैमाने पर दुरूपयोग का खुलासा हुआ है। उन्होंने विस्तृत जांच के आदेश प्रमुख सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग को दिए हैं। राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने यह भी निर्देश दिए है कि जांच रिपोर्ट एक्शन के साथ आयोग मंे पेश की जाए।

मुरादाबाद, बिजनौर सहित पश्चिम यूपी के कई जिलों में खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग मंे करोड़ों के घोटाले की शिकायतेे आयोग के संज्ञान में आयी है। इसका खुलासा सूचना का अधिकार कानून के तहत हुआ। इसमें बेरोजगारों को रोजगार शुरू करने के लिए दिया जाने वाला कर्ज विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ही फर्जी फर्म बना कर हड़प कर रहे हैं। आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के प्रमुख सचिव को पूरे मामले की जांच सौपी हैं। विदित हो कि खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग बेरोजगार युवकांें को उद्योग लगाने के लिए 25 लाख रूपये तक का कर्ज देता है। इसके लिए सब रजिस्ट्रार, फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स के यहां से फर्म और सदस्यों का एक बोर्ड तैयार करना होता है। फर्म और बोर्ड की तहकीकात के बाद खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग उस फर्म को उद्योग लगाने के लिए बैंकों से कर्ज दिलाता है। इस कर्ज पर महज चार फीसदी ब्याज देना होता है। ब्याज की बाकी रकम बतौर सब्सिडी विभाग देता है।

आर0टी0आई0 के अन्तर्गत बिजनौर के अनीस अहमद व पुरूषोत्तम शरण शर्मा, मुरादाबाद ने खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग, बिजनौर से सूचना मांगी थी कि जिले में कितने लोगों को कर्ज दिया गया। उन्होंने कर्ज लेने वाली फर्मों के नाम और पते की सूची भी मांगी थी कि किन फर्मों ने तय अवधि के बाद भी कर्ज नहीं लौटाया, इसका डिटेल मांगा। जिला और मंडल स्तर से सूचना न मिलने पर अनीस अहमद व पुरूषोत्तम शरण शर्मा, मुरादाबाद ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। आयोग ने बिजनौर से लेकर मुरादाबाद तक के अधिकारियों को नोटिस भेज  करके उन्हें तलब किया।

सुनवाई केे दौरान खुलासा हुआ कि खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बेरोजगारों को कर्ज दिलवाने के नाम पर खुद ब्लैक मेलिंग कर रहे हैं। राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान की सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ कि खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग और फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स विभाग के लोग आपस मंे सांठ गांठ कर फर्जी फर्म तैयार करते है। उनके नाम पर कर्ज लेते है। यह भी संज्ञान में आया है कि विभाग से रोजगार के नाम पर मिलने वाले कर्ज की ब्याज दर कम होती है, इसलिए कई मामलों में तो लोग कर्ज का पैसा दूसरे नामों से बैंक में जमा कर ज्यादा ब्याज ले रहे हैं। इसकी भी जानकारी मिली कि नाम फर्जी होने के कारण कई कंपनियां कर्ज का पैसा भी हजम कर रही है। आरोप है कि इसे छिपाने के लिए दोनों विभाग वादी को सूचनाएं नहीं दे रहे हैं। इस संबध में राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने प्रतिवादी गणों को 14 जुलाई को आयोग में उपस्थित होने के आदेश दिये है।