मोदी सरकार ने पेश किया  स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का ख़ाका 

नई दिल्ली: परिवारों और विभिन्न संस्थानों के पास रखे सोने को इस्तेमाल में लाने के लिए सरकार ने एक योजना का खाका पेश किया है, जिसके तहत कोई व्यक्ति या संस्थान सोने को बैंकों में जमा कर ब्याज प्राप्त कर सकता है।

दिशानिर्देश प्रारूप के मुताबिक, कम से कम 30 ग्राम सोना जमा काराया जा सकेगा और इस पर मिलने वाले ब्याज पर आयकर या पूंजीगत लाभ कर भी नहीं लगेगा।

इस मसौदे के मुताबिक किसी व्यक्ति या संस्थान के पास अगर अतिरिक्त सोना है तो वह बीआईएस प्रमाणीकृत हॉलमार्किंग केंद्रों से इसका मूल्यांकन कराकर कम से कम एक साल की अवधि के लिए बैंकों में स्वर्ण बचत खाता ‘गोल्ड सेविंग अकाउंट’ खोल सकता है और ब्याज के तौर पर नकदी या स्वर्ण इकाई हासिल कर सकते हैं। वित्त मंत्रालय ने इस स्वर्ण मौद्रीकरण योजना पर संबद्ध पक्षों से दो जून तक टिप्पणियां देने को कहा है।

भारत दुनिया में सोने की सबसे अधिक खपत करने वाला देश है और यहां हर साल 800-1,000 टन सोने का आयात होता है। भारत में 20,000 टन सोने का भंडार है, जिसका न तो व्यापार होता है न ही इसका मौद्रीकरण होता है।

इस योजना का लक्ष्य परिवारों और संस्थानों के पास बेकार पड़े सोने को इकट्ठा करना ताकि रत्न एवं जेवरात क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सके और आने वाले समय में घरेलू मांग पूरी करने के लिए आयात पर निर्भरता कम की जा सके।

प्रस्तावित योजना के तहत बैंक ग्राहकों को स्वर्ण बचत खाता खुलने के 30-60 दिन के बाद ब्याज देंगे। दिशानिर्देश के मसौदे में कहा गया ‘ब्याज दर के बारे में फैसला बैंकों पर छोड़ देने का प्रस्ताव है। सोना जमा करने वाले को अदा किए जाने वाले मूलधन और ब्याज का हिसाब किताब सोने में ही किया जाएगा।’ मसौदे में कहा गया कि यदि कोई ग्राहक 100 ग्राम सोना जमा करता है और उसे एक प्रतिशत ब्याज मिलता है तो परिपक्वता पर उसके खाते में 101 ग्राम सोना होगा।

परिपक्वता के मामले में दिशानिर्देश में कहा गया है कि ग्राहक इसे नकद राशि में या सोने के रूप में ले सकता है। हालांकि यह सोना जमा करते समय ही बताना होगा। योजना के तहत जमा अवधि कम से कम एक साल होगी और उसके बाद इसी गुणक में रखी जाएगी।

बैंकों को प्रोत्साहन देने के लिए इसमें प्रस्ताव है कि बैंक जमा किए गए सोने को सीआरआर अथवा एसएलआर के बदले रिजर्व बैंक के पास रख सकते हें। हालांकि, यह मुद्दा अभी जांच परख में है। दिशानिर्देश के मुताबिक बैंक विदेशी मुद्रा हासिल करने के लिए सोने की बिक्री भी कर सकते हैं। इस तरह हासिल विदेशी मुद्रा को निर्यातकों और आयातकों को कर्ज दी जा सकती है।

बैंक जमा किए गए सोने को सिक्कों में भी ढाल सकते हैं, ताकि उसका उपयोग ग्राहकों और आभूषण निर्माताओं को बेचने में किया जा सकता है। सरकार का भारतीय स्वर्ण सिक्का विकसित करने का भी विचार है, जिसमें अशोक चक्र बना होगा।