सिओल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशियाई देशों के बीच एकता की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें विश्व को आकार देने के लिए और संयुक्त राष्ट्र समेत शासन की वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एशियाई होने के तौर पर काम करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिणी कोरिया की राजधानी सोल में आयोजित छठे एशिया नेतृत्व सम्मेलन में कहा, ‘ यदि एशिया को एक बनकर उभरना है तो उसे अपने आप को क्षेत्रीय धड़े के रूप में नहीं सोचना चाहिए।’ प्रतिद्वन्द्विता के कारण एशिया महाद्वीप के पिछड़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने एशियाई एशियाई देशों से अपनी साझी विरासत और युवा उर्जा का इस्तेमाल एक साझा उद्देश्य को हासिल करने के लिए कहा।

मोदी ने कहा, ‘एकजुट एशिया विश्व को आकार देगा।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत साझा समृद्धि वाला एक ऐसा एशिया चाहता है, जहां एक राष्ट्र की सफलता दूसरे की ताकत बने।

एशिया के पुर्नोदय को इस युग की महानतम घटना करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ हमें संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद समेत वैश्विक संस्थानों के प्रशासन में सुधार के लिए एशियाई के रूप में काम करना चाहिए।’ मोदी ने कहा कि भारत का विकास एशिया की सफलता की कहानी होगी और यह एशियाई सपने को एक बड़ी हकीकत बनाने में मदद करेगा।

चीन और मंगोलिया की यात्रा के बाद दक्षिण कोरिया पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ एशिया के बारे में मेरा सपना ऐसा है जहां सभी एशियाई साथ विकास करें, भारत के भविष्य के बारे में मैंने जो सपना देखा है, वही मैं हमारे पड़ोसियों के भविष्य के लिए चाहता हूं। देश के भीतर और बाहर हमारा विकास और अधिक समावेशी होना चाहिए।’ भारत के एशिया के चौराहे पर खड़ा होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ हम एक दूसरे के साथ जुड़े एशिया के निर्माण संबंधी अपनी जिम्मेदारी को निभायेंगे।’ उन्होंने कहा कि चूंकि कुछ एशियाई देश अधिक समृद्ध हो गए हैं, ऐसे में उन्हें अपने संसाधनों और बाजार में ऐसे देशों को हिस्सेदारी देने के लिए तैयार रहना चाहिए जिन्हें इनकी जरूरत है। मोदी ने कहा, ‘ यह राष्ट्रीय सरकारों का कर्तव्य ही नहीं बल्कि एक क्षेत्रीय जिम्मेदारी भी है।’

‘लोकतंत्र के स्तम्भ’ के रूप में दक्षिण कोरिया की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरिया का आर्थिक चमत्कार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उसके वैश्विक नेतृत्व ने एशियाई शताब्दी के वादे को और वास्तविक बना दिया है। उन्होंने कहा, ‘ अब एशिया की सफलता को बरकरार रखने की बारी भारत की है.. भारत की क्षमता के बारे में कभी भी संदेह नहीं रहा है और पिछले वर्ष हमने वादे को वास्तविकता और उम्मीदों को विश्वास में बदला है ।’ मोदी ने कहा कि भारत का विकास प्रतिवर्ष 7.5 प्रतिशत की दर पर लौट आया है और इसके और बढ़ने की संभावना मजबूत है।

एशियाई नेताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ दुनिया एक स्वर में कह रही है कि भारत हमारे क्षेत्र और दुनिया में उम्मीदों का नया प्रकाशपुंज है । मानवता के छठे हिस्से का विकास दुनिया को भी एक अवसर प्रदान करेगा। यह भारत को हमारी दुनिया के लिए अधिक काम करने की क्षमता प्रदान करेगा।’ मोदी ने कहा कि एशिया और सफलता हासिल करेगा, अगर सभी एशियार्द साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे। ‘ यह ऐसे देशों का महाद्वीप नहीं होना चाहिए जहां कुछ राष्ट्र आगे बढ़े रहे हो और अन्य नीचे जा रहे हो। यह ऐसा नहीं होना चाहिए जहां कुछ क्षेत्रों में स्थिरता हो और अन्य टूटी संस्थाएं हो।’

मोदी ने कहा कि युवाओं को कौशल एवं शिक्षा सम्पन्न होना चाहिए ताकि वे भविष्य को उम्मीद भरी नजरों से देख सकें। उन्होंने कहा, ‘अगले 40 वर्षों में तीन अरब एशियाई अपने को समृद्धि की नयी उंचाइयों पर ले जायेंगे। एशिया की समृद्धि और बढ़ती आबादी हमारे सीमित संसाधनों के समक्ष बड़ी मांग पेश करेगी।’ उन्होंने कहा कि धरती पर हमारे पैर के निशान हल्के पड़ने चाहिए क्योंकि हमारा आर्थिक वजन बढ़ रहा है।