बिना बांध बिजली बनाने की कवायद तेज, उप्र में शुरू होगा पाइलट प्रोजेक्ट
लखनऊ। बिजली संकट से जूझ रहे उत्तर प्रदेश में बगैर बांध के बिजली बनाने की कवायद तेज हो गयी है। अलीगढ़ के शाहिन अहमद और उनके साथियों एक ऐसी इको फ्रेंडली मशीन बनाई है जो हल्के जल प्रवाह में भी कम खर्चे में अधिक बिजली पैदा कर सकती है। उनकी इस तकनीक को सूबे के वरिष्ठ मंत्री मो0 आजम खां ने भी देख लिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी परियोजना को मौखिक सहमति दे चुके हैं। बाकी औपचारिकता पूरी होते ही बुलंदशहर में इस तरह का पहला अनोखा पावर प्लांट लग जायेगा।
यह जानकारी बिजली पैदा करने वाली नई तकनीक के इजादकर्ता व आलमाइटी हाइड्रोपावर कंपनी के प्रबंध निदेशक शाहीन अहमद ने गुरूवार को राजधानी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि एक समझौते के तहत प्रदेश सरकार उनकी कंपनी को बुलंदशहर के खुर्जा में पालरा झाल स्थित बंद पड़े पावर प्लांट को देगी, जिसमें आलमाइटी हाइड्रोपावर कंपनी अपनी पहली यूनिट लगायेगी।
शाहीन ने बताया कि उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व कैबिनेट मंत्री मो0 आजम खां जल्द ही इस पावर प्लांट का शिलान्यास करेंगे। शाहिन का दावा है कि उनके इस अजूबे पनबिजली घर में मात्र दो रूपये में प्रति यूनिट बिजली मिलेगी। इस तकनीक से बिजली पैदा करने में किसी बड़े बांध की भी जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि उनके द्वारा बनाये गये हाइड्रो टरबाइन में पानी की कुछ बूंदों से ही बिजली बनने लगेगी।
उन्होंने कहा कि उप्र में गंगा और यमुना नदियों के जल से बगैर किसी प्रदूषण के पर्याप्त बिजली पैदा की जा सकती है। उन्होंने यह भी दवा किया कि उनके द्वारा बनाये गये टरबाइन से किसी जीव जन्तु को भी कोई हानि नहीं होगी।
अलीगढ़ निवासी शाहीन ने अपने घर में भी एक बिजलीघर बनाया है, जिसका कई तकनीकी टीमों द्वारा निरीक्षण किया जा चुका है। शाहीन ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने बिना बांध के बिजली बनाने की तकनीक को इजाद करने में उन्हें लगभग सात साल लग गये। इसके बाद पिछले पांच साल से वह इस तकनीक को सरकारी संरक्षण दिलाने के प्रयास में केंद्र और प्रदेश की सरकारों का चक्कर लगा रहे थे। इसी बीच इलाहाबाद कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो0 मोहम्मद कलीम से उनकी मुलाकात हुई। डा0 कलीम ने परियोजना को जब देखा तो उन्होंने इसकी साथर्कता के बारे में कबीना मंत्री आजम खां को बताया। फिर आजम खां ने जब स्वयं अलीगढ़ जाकर इस अनोखे प्रोजेक्ट को देखा तो शाहिन के सपने को पंख लग गये।
शाहीन को उम्मीद है कि जल्द ही राज्य सरकार से उन्हें अपना प्रोजेक्ट लगाने को हरी झंडी मिल जायेगी।
इस तकनीक को इजाद करने में शाहीन को मोअज्जम अली, असलम कादिर, फैसल सिद्दीकी और फिरोज जिया खान जैसे इंजीनियरों का पूरा सहयोग मिला।








