लखनऊ: ताज और तेजोमहालय को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल याचिका पर जवाब के लिए वकील ने अतिरिक्त समय की मांग की है। बुधवार को प्रतिवादी भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से वकालतनामा भी दाखिल किया गया। अगली सुनवाई 15 जुलाई को होनी है।

पर्यटन संस्थाओं से जुड़े पदाधिकारी इस तर्क के साथ पक्षकार बनने को आगे बढ़े हैं कि ताज को बाबरी मस्जिद न बनने दें। ताजमहल को अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजमान तेजो महालय घोषित करने की याचिका लखनऊ में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दायर की गई है।

लखनऊ के वकील हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री, सुधा शर्मा, राहुल श्रीवास्तव, अखिलेंद्र कुमार द्विवेदी और पंकज कुमार वर्मा की ओर से दाखिल याचिका पर अदालत ने प्रतिवादी भारत सरकार, गृह मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया। बुधवार को मामले में सुनवाई थी।

प्रतिवादी भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से अधिवक्ता अंजना शर्मा ने वकालतनामा पेश करते हुए अदालत से वक्त मांगा। सिविल जज सीनियर डिवीजन डॉ. जया पाठक ने वक्त देते हुए सुनवाई के लिए अगली तिथि 15 जुलाई निर्धारित कर दी।

वहीं, अप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन के पदाधिकारी शमसुद्दीन और वीरेश्वर नाथ त्रिपाठी ने धारा 110 के तहत पक्षकार बनने को आवेदन दिया है। शमसुद्दीन का कहना है कि आगरा ही नहीं, पूरे भारत में पर्यटन का सबसे बड़ा आकर्षण ताजमहल है। इसे विवादों में न डाला जाए। ताजमहल को बाबरी मस्जिद की तरह विवादित बनाया तो इससे पर्यटन प्रभावित होगा।

इस मामले में 15 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर इनके प्रार्थना पत्र पर अदालत द्वारा विचार किया जाएगा।