नई दिल्ली: नितिन गडकरी की कंपनी पूर्ति ग्रुप पर आई CAG रिपोर्ट पर चर्चा के लिए कांग्रेस ने सोमवार को राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया। हाल ही में आए CAG रिपोर्ट में पूर्ति ग्रुप को लोन देने में क़ायदे-क़ानून की अनदेखी का ख़ुलासा हुआ है।

इस बीच अपनी कंपनी पूर्ति ग्रुप पर CAG रिपोर्ट में ख़ुलासे को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में सफ़ाई दी। उन्होंने कहा कि कंपनी को लोन देने की प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं हुई है। अगर कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो क़ानून अपना काम करेगा। गडकरी के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने जमकर नारेबाज़ी की और उनका इस्तीफ़ा मांगा।

गडकरी ने कैग रिपोर्ट में उनसे जुड़ी कंपनी ‘पूर्ति ग्रुप’ पर ऋण में अनियमितता के आरोपों पर सोमवार को संसद में कहा कि इस रिपोर्ट में भ्रष्टाचार या उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की गई है और उन्होंने इस संबंध में लगाए जा रहे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया।

गडकरी ने राज्यसभा में दिए व्यक्तिगत स्पष्टीकरण में कहा, ‘मैं सदन को बताना चाहता हूं कि कैग की रिपोर्ट में न कहीं मेरे ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप है और न ही मेरे खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की गई है। पूर्ति साखर कारखाना के संबंध में भी इस रिपोर्ट में किसी अनियमितता अथवा भ्रष्टाचार की कोई बात नहीं है।’ उन्होंने यह स्वीकार किया कि वे इस पूर्ति साखर कारखाने से साल 2000 से 2011 के बीच बतौर अध्यक्ष जुड़े थे।

गडकरी ने कहा, ‘मैं कैग जैसी संवैधानिक संस्था का सम्मान करता हूं। लेकिन कैग की रिपोर्ट के तथ्यों को जानबूझ कर तोड़.मरोड कर अपने राजनीति स्वार्थ के लिए कुछ सदस्यों द्वारा देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘लोकलेखा समिति इस रिपोर्ट पर उपयुक्त समय पर विधिवत बहस करेगी। यदि लोकलेखा समिति में इस मामले में किसी भी प्रकार की अनियमितता सिद्ध होती है तो कानून अपना काम करेगा।’ उन्होंने कहा कि कैग की यह रिपोर्ट इंडियन रिन्यूवेबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (इरडा) द्वारा 29 कंपनियों को ऋण दिए जाने में अपनायी गई प्रतिक्रिया के तहत निबटाए गए थे। उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट में ऋण के किसी भी प्रकार से गलत इस्तेमाल, हेराफेरी या फिर भ्रष्टाचार की बात नहीं कहीं गई है।

इससे पहले कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्होंने कार्य स्थगन प्रस्ताव इसलिए दिया, ताकि पूर्ति ग्रुप पर आई सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा की जाए।

दरअसल पूर्ति ग्रुप ने मार्च 2002 में इरडा से 84.12 करोड़ रुपये का लोन लिया था। यह लोन नागपुर में 22 मेगावाट बिजली प्रोजेक्ट के लिए लिया गया था। इस प्रोजेक्ट की खास बात ये है कि इसमें बगास यानी गन्ने के बचे हुए अंश से बिजली बननी थी।

इरडा से लोन सिर्फ़ रीन्यूएबल एनर्जी वाले प्रोजेक्ट को ही मिलता है। इसलिए बगास से बिजली बनाने की शर्त पर पूर्ति ग्रुप को इरडा से लोन दिया गया। लेकिन पूर्ति कंपनी ने लोन की शर्तों को दरकिनार करते हुए बगास की बजाय कोयले से बिजली उत्पादन किया।

यही नहीं फरवरी 2004 की बजाय मार्च 2007 में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ, जबकि 2007 में ही ये प्रोजेक्ट नॉन परफ़ॉर्मिंग ऐसेट घोषित हुआ था। बावजूद इसके पूर्ति कंपनी को पूरा लोन दिया गया। इसके अलावा पूर्ति ने सिर्फ़ 71.35 करोड़ रुपया ही लौटाया। इससे सरकार को 12.77 करोड़ का नुक़सान हुआ।