लखनऊ: शहर के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही मासूम बच्ची के साथ बलात्कार की घटना ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार की कानून व्यवस्था पर बहुत बड़ा सवाल  खड़ा कर दिया  है। लखनऊ के कृष्णानगर इलाके में सड़क के किनारे सो रही मजबूर मां के पास से कोई हैवान दो साल की मासूम को उठा कर ले गया। उसके साथ बलात्कार किया और फिर नहर के पास फेंककर फरार हो गया।

क्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश की बदहाल कानून व्यवस्था नजर नहीं आती या फिर इसे नजरअंदाज किया जा रहा है? ये सवाल इसलिए है क्योंकि बीते एक हफ्ते से लखनऊ पुलिस बिना कप्तान के काम कर रही है। ये जानकर हैरानी होती है कि महज सियासत की वजह से लखनऊ में इस समय कोई एसएसपी नहीं है।

लखनऊ के सियासी हलकों में चर्चा है कि विवादित एसएसपी यशस्वी यादव को मुख्यमंत्री ने दबाव में हटा तो दिया, लेकिन अभी तक नौ दिन बाद भी किसी को तैनात नहीं किया गया है।  आरोप ये भी है कि मुख्यमंत्री उन लोगों को नतीजे दिखाना चाह रहे हैं जो यशस्वी के खिलाफ थे।

बीते कुछ वक्त में लखनऊ क्राइम का गढ़ बनता जा रहा है, लेकिन पुलिस प्रशासन की लापरवाही का आलम ये कि एसएसपी के न होने को भी बड़े हलके में लिया जा रहा है। जिले का काम देख रहे डीआईजी साहब महज गैप भरने का काम कर रहे हैं। सही है, पूरा सूबा देख रहा है। पूरा देश देख रहा है कि क्या कार्रवाई हो रही है, कैसी कार्रवाई हो रही है?

ये घटना शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात की है। तकरीबन इसी वक्त मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी ने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्हें भी बेटियों की चिंता होती है क्योंकि उनकी खुद की भी बेटियां हैं। इस घटना ने एक बार फिर अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अखिलेश भूल रहे हैं कि खुद उनके पिता उन्हें बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर डांट पिला चुके हैं, लेकिन अखिलेश हैं कि सुधरते नहीं।