लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) उ0प्र0 राज्य कमेटी की बैठक में किसानों की फसलों की बर्बादी और किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या, सदमें में हो रही मौतों को अत्यंत भयावह और अभूतपूर्व बताते हुए कहा गया कि इस भयानक त्रासदी में मोदी की केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की सपा सरकार दोनों किसानों को राहत देने में असफल सिद्ध हुई हैं। बैठक में इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने तथा फौरन सर्वदलीय बैठक बुलाकर निर्णय लेने की मांग की। जो राहत धनराशि सरकारों द्वारा जारी की गयी है वह बिल्कुल नाकाफी है। जमीनी हकीकत यह है कि किसानों को सौ-दो सौ का चेक बैंको से लेने के लिए हजार रूपये खर्च करना पड़ रहा है। कई तरह के भ्रष्टाचार के कारण किसानों को मामूली राहत भी ठीक से नहीं मिल पा रहा है। 

इस संकट को समूची ग्रामीण जनता का संकट मानते हुए माकपा ने मांग की है कि किसानों के साथ खेत मजदूरों का समस्त कर्जे और बकाया माफ किया जाय। समस्त वसूली स्थगित की जाय और किसानों को आगे खेती के लिए सस्ता खाद, बीज, बिजली उपलब्ध करायी जाय। बंटाईदार किसानों को भी मुआवजा दिया जाय। केवल गेहूं की फसल के लिए ही नहीं बल्कि सभी फसलों का सभी किसानों को मुआवजा दिया जाये।

बैठक में सपा की राज्य सरकार द्वारा राजस्थान सरकार की तर्ज पर श्रमिक विरोधी नीतियां तथा नियम बनाने का तीव्र विरोध करते हुए कहा गया कि सरकार घोर मजदूर विरोधी कदम न उठाये।

प्रदेश में बढ़ती साम्प्रदायिक गतिविधियों को सख्ती से रोकने और साम्प्रदायिकता भड़काने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की गयी। दलितों, महिलाओं, तथ अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले, महिलाओं के साथ बलात्कार और उनकी हत्या की घटनायें बढ़ रही हैं और पुलिस प्रशासन निरंकुश है। 

फसलों की बर्बादी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने, सभी किसानों को सभी फसलों के लिए  मुआवजा देने, भूमि अधिग्रहण बिल 2014 तथा भूमि का सरकारी बैनामा द्वारा भूमि की लूट को रोकने, मनरेगा को पूरे जोर से चालू करेन, मजदूरों को 15000 रूपये न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, छात्रों खासकर दलित छात्रों के रूके वजीफे को तुरन्त भुगतान करने आदि मांगों को लेकर 2 जून को प्रदेश के हर जिले के मुख्यालयों तथा तहसीलों पर प्रदर्शन/घेराव किया जायेगा।