लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि समाज पर व्यापक प्रभाव डालने वाले अपराधों के आरोपी के खिलाफ कायम मुकदमे को सरकार मनमाने तौर पर वापस नहीं ले सकती। ऐसे अधिकार न्यायिक पुनर्विलोकन की परिधि में आते हैं।
कोर्ट ने कहा है कि सरकार को कारण होने पर आपराधिक मुकदमे वापस लेने का अधिकार है, किन्तु चार्जशीट दाखिल होने के बाद मनमाने तौर पर ऐसा नहीं कर सकती। कोर्ट ने पिछले दो वर्षों में सरकार द्वारा वापस लिए गये मुकदमों का ब्यौरा मांगा है और इसके पीछे के कारण भी बताने को कहा है। इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया गया है। सुनवाई की अगली तिथि 25 मई नियत की गई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्र्रवाल तथा न्यायमूर्ति दिनेश गुप्ता की खंडपीठ ने बलिया के एक विद्यालय के प्रबंधक राम नारायण यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में प्रमुख सचिव न्याय को तलब किया था। उनके द्वारा प्रस्तुत रिकार्ड सीलबंद लिफाफे में रखा गया है। प्रमुख सचिव न्याय अनिरुद्ध सिंह की हाजिरी कोर्ट ने माफ कर दी है और हलफनामा मांगा है।
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