लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सिपाही भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए काकोरी के मलहा गांव निवासी सरिता द्विवेदी द्वारा फांसी लगाकर जान दे देना पूरे सिस्टम को झकझोर देने वाली घटना है। 

प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि सिपाही भर्ती प्रक्रिया संचालित कर रहे पुलिस भर्ती बोर्ड ने जिस तरह से सामान्य महिला का न्यूनतम कटऑफ पहले घोषित 188 से बढ़ाकर चार दिन बाद 288 कर दिया उससे बोर्ड की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार साफ जाहिर हो रहा है। सिपाही भर्ती प्रक्रिया के फिजिकल में 100 में से 100 अंक लाने के बाद भी सरिता का आगे की प्रक्रिया में चयन न हो पाना इस पूरी कवायद को संदेह के घेरे में ला रहा है।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि युवा नेता होने का दम भरने वाले सपा सरकार के मुखिया अखिलेश यादव में अगर प्रदेश के सभी युवाओं को जाति से ऊपर उठकर देखते हैं तो उन्हें फौरन सिपाही भर्ती मामले में सीबीआइ जांच का आदेश जारी कर देना चाहिए। सरिता ने आत्महत्या नहीं की बल्कि सपा सरकार की सरपरस्ती में चल रहे पुलिस बोर्ड के अधिकारियों ने अपनी कारगुजारियों से ऐसे हालात पैदा किए कि एक युवा को जान देना पड़ा। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि प्रदेश के लाखों युवा सिपाही भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हुई गड़बडियों से बेहद निराश और सदमे में हैं। इन पर ध्यान न देने से स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली कठघरे में आ गई है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में धांधली के आरोप के बाद लाखों छात्र प्रदर्शनरत हैं लेकिन सपा सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड की परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आ चुकी है। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार न तो युवाओं की बेरोजगारी ही दूर कर पा रही है बल्कि जो कुछ नौकरियां हैं भी उनमें भीषण भ्रष्टाचार कर युवाओं के साथ धोखा कर रही है। उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सत्ता संभालने के बाद बेरोजगारी और हताशा से जूझ रहे युवाओं ने इनसे ढेरों उम्मीदें लगाईं थीं लेकिन तीन वर्ष के शासनकाल में सपा सरकार ने एक-एक करके युवाओं के सपनों पर कुठाराघात किया है।