लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भले ही बाहरी तौर पर एक दूसरे की विरोधी पार्टी होने का दिखावा कर रही हों लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में दोनों में गुपचुप समझौता हो चुका है। 

प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती वर्ष 2007 में अपनी सत्ता आने के पहले पूर्ववर्ती मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर काफी हमलावर थीं। चुनावी रैलियों में उन्होंने साफ तौर पर बसपा की सरकार बनने के बाद मुलायम सिंह और इनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को जेल भेजने का दावा किया था। सपा सरकार के भ्रष्ट और गुंडागर्दी वाले शासन से त्रस्त जनता मायावती के बहकावे में आ गई थी। अपने पांच वर्ष के शासनकाल के शुरुआती समय में मायावती सरकार ने लोहिया पथ समेत कई योजनाओं में भ्रष्टाचार का दावा करके जांच शुरू करवाई लेकिन कुछ समय बाद सब ठंडे बस्ते में चली गई। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने भी ऐसा ही किया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत सभी बड़े नेताओं ने एक स्वर से बसपा के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराकर दोषियों को जेल भेजने की हुंकार भरी थी। सपा सरकार बनने के तीन वर्ष से ज्यादा बीतने के बाद न तो इनकी सरकार ने कोई जांच ही पूरी की और न ही किसी को जेल भेजा। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि हद तो यह हो गई कि पूर्व बसपा सरकार ने भ्रष्टाचार में फंसे जिन नेताओं के खिलाफ लोकायुक्त जांच के आदेश दिए उन्हें सपा सरकार बचाने में जुट गई है। लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न करना इसका जीता जागता उदाहरण है। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि सपा न केवल अपनी सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों को बचा रही है बल्कि बसपा सरकार के भ्रष्टाचारियों पर भी खासी मेहरबान है। दिखावे के लिए मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूर्ववर्ती बसपा सरकार के भ्रष्टाचार से राज्य के खजाने को हुए नुकसान का रोना रोते हैं लेकिन अंदर ही अंदर दोनों दल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हाथ मिला चुके हैं।