लखनऊ: जलधारा बचाव आन्दोलन कमेटी  के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शाकिर अमरोही ने राष्ट्रीय स्तर पर बाधित  जलधारा की बहाली को लेकर आज यहाँ लखनऊ सरजमीन  पर भी गहन विचार मंथन किया। 

आज लखनऊ दौरे पर आए यहाँ हजरतगंज  चौराहे पर बुलाई गई एक बैठक में उन्होंने कहा कि यहां भी हम जलधारा बचाव आन्दोलन का जल्द ही एक प्रस्ताव लाएंगे।  प्रस्ताव सभा  गोमती नदी के किनारे पर  आयोजित होगी।  स्पष्ट हो कि पानी प्रवाह आंदोलन का मुख्य प्रस्ताव 17 मार्च को अमरोहा धरती पर बुद्धीजीवी वर्ग ने  ऐतिहासिक रूप से पास किया।  अब उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण स्थानों पर उक्त  प्रस्ताव पास होने का सिलसिला शुरू हो गया है।  रामपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा, मेरठ, सहारनपुर, लखनऊए मूल रूप से शाहजहांपुर, बरेली, दिल्ली व कई महत्वपूर्ण स्थानों पर अगले महीने तक प्रस्ताव पास हो जाएंगे आन्दोलन से जुड़े कार्यकर्ता इन महत्वपूर्ण प्रस्ताव बैठकों की तैयारी में लगे हैं। इसके बाद अमरोहा से दिल्ली तक  पैदलयात्रा होगी जहाँ  जन्तर मन्तर पर राष्ट्रीय  स्तर का प्रस्ताव पास होगा।

आंदोलन के नेता डॉ शाकिर अमरोही ने साफ लफ़्ज़ों  में कहा कि  पर्यावरण विदों की चेतावनियों के बावजूद सरकार ने पंजाब से लेकर बंगाल तक हिमालय की तलहटी में बिजली उत्पादन के लिए बड़े.बड़े बांध बनाये। सभी ने  उनके पानी के प्रवाह को इन बांधों में  सुरक्षित कर लिया।  जिससे मैदानी इलाकों में जहाँ प्राक्रतिक  रूप से पानी का प्रवाह होता था। नतीजा  सामने है मैदानी क्षेत्रों के नदी नालेए पोखर जोल और तालाब सूख गए, दूसरी   ओर जल दोहन  बहुत हो रहा है जिससे जल लेबल  डार्क जोन में चला गया। कहीं कहीं वाटर  लेबल अब पहुंच से दूर हो गया है। अगर यही हाल रहा तो एक दशक में उत्तर भारत का 50 फीसदी क्षेत्र रेगिस्तान में तब्दील हो जायेगा। पानी प्रवाह के बन्द होने का नुकसान किसानों के लिए खतरे की घंटी लेकर आया। उपजाऊ मिटटी  के लिए तलछट मिलना बंद हो गयाण्जो कि जल  प्रवाह से ही मिलता था। 

डाक्टर अमरोही ने बैठक में साफ.साफ कहा कि हमें ऐसी बिजली नहीं चाहिए जो हमारे जीवन के साथ खेल कर रही है। सरकार को चाहिए कि वह इन बांध को बंद कर  बिजली का उत्पादन अन्य श्रोत से पैदा करे और जल प्रवाह को त्वरित रूप से बहाल करे। बैठक  की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एहसान हक मलिक ने घोषणा की कि जल्द ही गोमती तट पर लछमन मेला मैदान में प्रस्ताव सभा लगेगी। जिसमें  सभी वर्ग से जुड़े बुद्धीजीवी प्रस्ताव पर विचार करेंगे उन्होंने कहा कि गोमती सफाई को लेकर सरकार नौटंकी  कर रही है । गोमती  को सफाई नहीं प्राक्रतिक पानी प्रवाह की जरूरत है। अगर प्राक्रतिक रूप से पानी बहाल कर दिया जाएगा तो किसी भी सफाई की जरूरत नहीं है।

वरिष्ठ समाज सेवी शिव नारायण  कुशवाहा ने प्रस्ताव सभा की तैयारी के लिए रणनीति की रूप रेखा परस्तुत की  और कहा कि लखनऊ ऐतिहासिक आंदोलनों की धरती रही है। आम आदमी की जरूरत के लिए शुरू हुए उक्त आंदोलन में भी लखनऊ ही नेतृत्व करेगा। उनहोने एक प्रतिनिधि संगठन का भी गठन किया जो क्षेत्र के सभी बुद्धीजीवी लोगों से संपर्क करेगा।