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देश की सभी सरकारें पूँजीपतियों की सेवादास ही बनकर रह गयीं: काॅ0 राबिन

लखनऊ: सोशलिस्ट युनिटी सेण्टर आॅफ इण्डिया (कम्युनिस्ट) के 67वें स्थापना दिवस (24 अप्रैल) के अवसर पर जन-जीवन की ज्वलंत समस्याओं के खिलाफ की उत्तर प्रदेश राज्य समिति द्वारा एक राज्य स्तरीय जनसभा लखनऊ शहर के अमीनाबाद इलाके में स्थित गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाॅल में आयोजित की गयी। इसकी अध्यक्षता पार्टी के राज्य सचिव काॅ0 वी0एन0सिंह ने की। मुख्य वक्ता के रूप में सभा को सम्बोधित करते हुए पार्टी की झारखण्ड राज्य समिति के सचिव काॅ0 राबिन समाजपति ने केन्द्र व राज्य सरकारों की पूँजीपति परस्त जन विरोधी नीतियों की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से सुनहरे सपने दिखाकर तमाम रंगों की सरकारें आईं, सभी की नीतियाँ वही रहीं, केवल नारे बदलते रहे और वे सत्तासीन हो पूँजीपतियों की सेवादास ही बनकर रह गयीं। यह क्रम बरकरार है। उन पार्टियों से आशा करना एक छलावे से अधिक और कुछ भी नहीं है। ज़रूरत है इन तमाम समस्याओं के खिलाफ़ एक लगातार जनान्दोलन का सैलाब खड़ा करके अन्ततः क्रांति के द्वारा इस शोषण-उत्पीड़न की चक्की में पीसने वाली पूँजीवादी व्यस्था को ही ध्वस्त करने की और इस तरह से समाजवादी व्यवस्था कायम करके एक बेहतर समाज के संरचना की। काॅ0 समाजपति ने अपनी व्यापक चर्चा के दौरान बहुत ही सूक्ष्म ढंग से यह दर्शाया कि हमारे देश में एस.यू.सी.आई.(सी.) एकमात्र सच्ची कम्युनिस्ट पार्टी क्यों है।

राज्य समिति के कार्यालय सचिव काॅ0 जगन्नाथ वर्मा ने कहा कि पूँजीपतियों को टैक्स में छूट तथा उदारतापूर्वक अनुदान दिया जा रहा है, लेकिन आम जनता के ऊपर टैक्स का बोझ बढ़ाकर, सब्सिडी घटाकर उनके जीवन में अनिश्चितता का भय लगातार बढ़ाया जा रहा है। मजदूर हितैषी कानूनों को एक-एक कर ख़त्म कर पूँजीपति कानूनों को पारित किया व जबरन लागू करवाया जा रहा है। लोकतंत्र हितैषी होने का ढोंग रचने वाली केन्द्र में भाजपा नीत सरकार संसद को दरकिनार करके अध्यादेश पर अध्यादेश लाती जा रही है। उन्हीं में एक और काला कानून – भूअधिग्रहण अध्यादेश – जो ब्रिटिश काल के कानून से भी कहीे ज्यादा खतरनाक है। काॅ0 वर्मा ने कहा कि मेक इन इण्डिया का सब्जबाग दिखाने वाली मोदी सरकार किसानों से जमीन छीनकर उद्योगपतियों को देने पर आमादा है। किसानों की बिना सहमति के जबरिया उनसे जमी छीनकर-पूँजीपतियों को देने के लिए संसद को नजरंदाज कर अध्यादेश लाया जा रहा है। राज्य समिति सदस्य काॅ0 एस0 के0 मालवीय ने कहा कि आज शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ज़रूरतों के निजीकरण ने आम-जन को बेहाल कर रखा है। किसानों को उनकी फसलों का दाम नहीं मिल रहा है। देश की सरकार व कथित बुद्धिजीवी – ग़रीबों-मज़दूरों को मिलने वाली सब्सिडी ख़त्म करने की वकालत कर रहे हैं, जो वैसे भी बहुत ही मामूली है। लेकिन लाखों हजार रूपये प्रतिवर्ष उद्योगपतियों को विभिन्न बहानों से सौगात में दिया जा रहा है, उसकी चर्चा न मीडिया कर रहा है और न ही सरकारों को शर्म आ रही है। राज्य सचिव मण्डल सदस्य काॅ0 पुष्पेन्द्र विश्वकर्मा ने कहा कि नई सरकार आने के बाद से पाठ्यक्रमों में फासीवादी बदलाव किया जा रहा है। इतिहास को साम्प्रदायिक नजरिये से पेश करने के लिए तथ्यों को तोड़ा-मरोड़कर जोड़ा जा रहा है। निर्लज्जता के साथ विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा किया जा रहा है और आये दिन ज़रूरी सवालों से ध्यान भटकाने के लिए दंगे आयोजित किये जा रहे हैं। इन सबका मुकाबला फासीवादी शक्तियों के खिलाफ उन्नत विचारधारा के साथ संगठित प्रतिरोध के द्वारा ही किया जा सकता है।

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