नई दिल्ली: नेपाल में आए भयावह भूकंप के बाद अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों ने सहायता का हाथ बढ़ाया है। ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द रेडक्रॉस एंड रेड क्रीसेंट सोसायटीज’ के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के निदेशक जगन चपगाईं ने कहा, ‘हमें अभी तक नुकसान का स्तर पता नहीं है, लेकिन यह 1934 के भूकंप के बाद सबसे जानलेवा और विनाशकारी भूकंप हो सकता है।’ संगठन ने कहा कि वह भूकंप के केंद्र के आसपास के गांवों को लेकर अत्यंत चिंतित है।

उन्होंने कहा, ‘भूस्खलन से सड़कें तबाह हो गई हैं या अवरुद्ध हो गई हैं।’ अन्य संगठनों ने भी तुरंत फुरत सहायता के प्रयास शुरू कर दिए हैं। कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने संचार सेवाओं को लेकर कठिनाई जताई है। भारत तो पहले से ही पूरी तरह से नेपाल की मदद में जुटा है। भारत की ओर से राहत सामग्री व दवाईयों के साथ विमान शनिवार को ही काठमांडू पहुंच गया। इसके अलावा राहत व बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ के लोगों को भी नेपाल फेजा गया है। यही नहीं भारत के अलग-अलग राज्य भी अपनी-अपनी ओर से नेपाल को मदद भेज रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप को ‘दिल दहला देने वाला और दु:खद’ बताते हुए अंतरराष्ट्रीय बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया में मदद करने का वादा किया। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने एक बयान में कहा कि वह जोखिम में पड़े लोगों और उन गर्भवती महिलाओं के प्रति विशेष तौर पर चिंतित हैं जो इस आपदा से प्रभावित हुई हैं।

यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक बाबटुंडे ओसोटीमेहीन ने कहा, ‘उनकी और उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएंगे।’

अमेरिका विनाशकारी भूकंप से पीड़ित नेपाल के लिए आपदा मोचन टीम भेज रहा है और तात्कालिक जरूरतों से निपटने के लिए दस लाख अमेरिकी डॉलर की राशि मंजूर की है।

दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने बताया कि अमेरिका विदेश आपदा सहायता (ओएफडीए) के यूएसएड के कार्यालय के माध्यम से नेपाल में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए काम कर रहा है।

अमेरिकी ओएफडीए के प्रमुख जेरेमी कोनीडीक ने बताया कि तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दस लाख अमेरिकी डॉलर की राशि मंजूर की गई है।

फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि विनाशकारी भूकंप को देखते हुए नेपाल के किसी भी आग्रह पर फ्रांस मदद करने को तैयार है। इस भूकंप में 1,800 से अधिक लोग मारे गए हैं।

उनके इलीसी कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, ‘ओलांद ने नेपाल की सरकार और लोगों के प्रति फ्रांस की एकजुटता व्यक्त की है।’

नेपाल में आए विनाशाकारी भूकंप में मदद के लिए इस्राइल एक दल रवाना कर रहा है। इस्राइली सेना के एक बयान में कहा गया है कि ‘चिकित्सा, तलाश और बचाव, साजो सामान और जन सहायक पेशेवरों’ का दल आधी रात को उड़ान भरेगा।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय से जारी एक बयान में बताया गया है कि विशेष दल प्रभावित क्षेत्रों के पास उतरेगा।

समीपवर्ती नेपाल में शनिवार को आए विनाशकारी भूकंप की वजह से दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र में मरने वालों की संख्या 17 हो गई है और साम्यवादी देश ने हिमालयी देश की मदद करने के लिए 62 सदस्यीय खोज एवं बचाव दल वहां भेजा है।

भूकंप की वजह से हिमालयी देश की राजधानी काठमांडू के ऐतिहासिक धरहरा टॉवर और दरबार स्क्वायर सहित कई मकान और इमारतें ध्वस्त हो गईं। स्थानीय प्राधिकारियों ने बताया कि नेपाल में आए भूकंप के बाद तिब्बत में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 17 हो गई है।

चाइना अर्थक्वेक एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया कि मानवीय कार्यों में सहायता के लिए 62 सदस्यीय एक खोज एवं बचाव दल वहां भेजा गया है। इस दल के साथ छह खोजी कुत्ते और बचाव एवं चिकित्सा के उपकरण भी भेजे गए हैं। समझा जाता है कि चार्टर्ड विमान से गया यह दल रविवार दोपहर तक काठमांडू पहुंच जाएगा।

बचाव दल में 40 कर्मचारी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की 38वीं ग्रुप आर्मी बीजिंग मिलिट्री एरिया कमांड के हैं। अनुभवी बचावकर्मियों में से 20 प्रतिशत ने अंतरराष्ट्रीय बचाव अभियानों में भाग लिया है।