स्विट्जरलैंड बना दुनिया का सबसे खुश देश, 6 स्थान और नीचे खिसका भारत 

संयुक्त राष्ट्र : खुश देशों के वैश्विक सूचकांक में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं है और वह 158 देशों की इस सूची में 117वें स्थान पर आया है। इस सूचकांक में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, जीवन प्रत्याशा, अपनी पसंद की जिंदगी जीने के लिए सामाजिक सहारा और आजादी को खुशी का संकेतकों के रूप में इस्तेमाल किया गया है।

दुनिया में स्विट्जरलैंड को सबसे खुश देश बताया गया है जो टिकाउ विकास हल नेटवर्क (एसडीएसएन) द्वारा प्रकाशित 2015 की विश्व खुशी रिपोर्ट में पहले नंबर पर आया है। एसडीएसएन संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पहल है। शीर्ष पांच स्थानों पर अन्य देश आईसलैंड, डेनमार्क, नार्वे और कनाडा हैं।

भारत 117वें स्थान पर है और वह पाकिस्तान (81), फिलस्तीन (108), बांग्लादेश (109), यूक्रेन (111) और इराक (112) जैसे देशों से भी नीचे है। वह 2013 की रिपोर्ट से छह स्थान नीचे आ गया है। उस साल वह 111 स्थान पर था।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उत्तरोत्तर, खुशी को सामाजिक प्रगति एवं सार्वजनिक नीति के लक्ष्य के उचित मापदंड समझा जाता है। रिपोर्ट कहती है कि खुशी सूचकांक इसकी व्याख्या करता है कि कैसे सुख के मापन का देशों की प्रगति का आकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

वर्ष 2015 की विश्व खुशी रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, व्यक्ति को मुश्किल के वक्त भरोसा करने के लिए सामाजिक सहारा, अपनी पसंद की जिंदगी जीने की आजादी, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा जैसे कारकों का इस्तेमाल किया गया है। इस सूची में अमेरिका 16वें, ब्रिटेन 21वें, सिंगापुर 24वें, सउदी अरब 35वें, जापान 46वें और चीन 84वें स्थान पर हैं।

अफगानिस्तान और युद्ध प्रभावित सीरिया अफ्रीका उप सहारा देशों – टोगो, बुरूंडी, बेनिन, रवांडा, बुरकिना फासो, आइवरी कोट, गिनिया और चाड इन 158 देशों में सबसे कम खुश देश हैं। रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2015 मानवता के लिए एक अहम पड़ाव है क्योंकि वैश्विक विकास के और अधिक समग्र एवं टिकाऊ पैटर्न के सिलसिले में दुनिया को सहयोग पहुंचाने लिए सितंबर में टिकाउ विकास लक्ष्य (एसडीजी) को संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा अपनाया जाना है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘खुशी और सुख की अवधारणा टिकाऊ विकास की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।’ इस रिपोर्ट के ‘खुशी के भूगोल’ खंड में 2013 के रैकिंग से तुलना की गयी है और उसमें निरंतरता एवं बदलाव दोनों बाते हैं। जहां 2015 के शीर्ष दस देश वर्ष 2013 में भी शीर्ष पर थे वहीं स्विटरजरलैंड पहले नंबर पर आ गया है।