नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करके वर्ष 2017-18 तक जीडीपी के 3 प्रतिशत लाने का लक्ष्य एक बड़ी चुनौती है लेकिन इसे हासिल करने के क्रम में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के आधारभूत ढांचे और सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने से समझौता नहीं करेगी।

लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमें खुशी है कि हम पिछले वर्ष राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे।’ उन्होंने कहा कि हमने तीन वर्षों में राजकोषीय घाटे को और कम करने का लक्ष्य बनाया है जो 2015-16 में 3.6 प्रतिशत, 2016-17 में 3.5 प्रतिशत और 2017-18 में 3 प्रतिशत करने का है। राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक लाने के लक्ष्य में कई चुनौतियां हैं।

जेटली ने कहा कि इन चुनौतियों को पार पाने की पहल में हमने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप राज्यों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त कोष मुहैया कराया। इसके साथ ही वेतन आयोग की रिपोर्ट आने की उम्मीद है और आधारभूत संरचना क्षेत्र के लिए भी धन मुहैया कराना है। मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष में आधार भूत ढांचा क्षेत्र में 70 हजार करोड़ रूपये निवेश करने का लक्ष्य रखा गया है।

अरूण जेटली ने कहा, ‘आधारभूत ढांचा क्षेत्र के अलावा अगर मेरे पास कोई अतिरिक्त राशि बचती है तब मैं सिंचाई क्षेत्र में ध्यान दूंगा।’ वित्त मंत्री ने कहा कि किसी भी वित्त मंत्री के समक्ष वृद्धि और राजकोषीय घाटे के बीच संतुलन स्थापित करने होता है और घाटे पर नियंत्रण के लिए सरकार को सख्त राजकोषीय अनुशासन रखना पड़ता है और मितव्ययता के उपाए करने होते हैं।

जेटली ने कहा, ‘अगर अगले 2.3 वषरे में राजकोषीय अनुशासन स्थापित हो जाता है तब राजकोषीय घाटे की स्थिति बेहतर हो जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्यों के राजकोषीय घाटे की स्थिति केंद्र की तुलना में बेहतर है।