पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से कहेंगे कि भूमि अधिग्रहण बिल को वह अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न ना बनाएं और यदि लोगों के मन में यह अवधारणा बैठ गयी है कि कानून उनके हित के खिलाफ है तो ऐसी स्थिति में 2013 के काननू को बदलने की आवश्यक्ता नहीं है।
वीर कुंवर सिंह की जयंती के अवसर पर पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आज आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने का 1893 का जो कानून था उसे बदलकर 2013 में नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाया गया था और उसके तहत किसानों के हितों की रक्षा किए जाने के साथ उन्हें बेहतर से बेहतर मुआवजा दिए जाने का प्रावधान किया गया था।
उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा उस बदलने के लिए लाए गए अध्यादेश का चहुंओर विरोध हो रहा है। केंद्र की ओर से लगातार सफाई दी जा रही है पर जितनी सफाई देने की कोशिश की जा रही है उतना ही लोगों के मन में यह बात बैठती जा रही है कि वे हमारी जमीन छीन लेंगे और यह सबकुछ अमीरों के लिए किया जा रहा है।
नीतीश ने कहा कि जिस प्रकार से कोशिश हो रही है समझाने की, मुझे नहीं लगता कि उसमें केंद्र सरकार को कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘मेरा कहना है कि यह ऐसा प्रश्न है जिसपर जिद नहीं करनी चाहिए। यह कोई प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है।’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री जी से कहूंगा कि इसे अपनी प्रतिष्ठा के साथ मत जोड़िए। अगर लोगों के मन में यह अवधारणा बैठ गयी है कि यह कानून उनके हित के खिलाफ है तो वैसी स्थिति में 2013 के काननू को बदलने की आवश्यक्ता नहीं है, उसे यथावत रहने दिया जाए।’ उन्होंने कहा, ‘हम यह अपील करेंगे कि ऐसा करने से प्रतिष्ठा नहीं जाती है। मेरा मानना है कि प्रतिष्ठा बढ जाएगी, जनभावना का सम्मान करते हुए उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए, लेकिन उनके पास सोचने वाले अनेक लोग हैं, वह क्या सोचते हैं, मैं नहीं जानता हूं।
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