नांगल झामरवाड़ा (दौसा)/नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी की रैली में बुधवार को खुदकुशी करने वाले किसान गजेंद्र के शव का राजस्थान के दौसा स्थित उसके गांव नांगल झमरवाड़ा में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, अशोक गहलोत और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह मृत किसान गजेंद्र के घर पहुंचे और अपनी शोक संवेदनाएं जताईं। दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता आप सरकार और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

दिल्ली में जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान फंदा लगा खुदकुशी करने वाले नांगल झामरवाडा के किसान गजेन्द्र सिंह कल्याणवत (42) की आज यहां अन्त्येष्टि कर दी गई। दौसा पुलिस अघीक्षक अंशुमान भौमिया ने बताया कि मृतक गजेन्द्र सिंह के परिवार में बुधवार को विवाह होने के कारण उनके परिजन गजेन्द्र सिंह का शव उसके पैतृक आवास पर नहीं ले जाकर किसी परिचित के घर पर लेकर गये थे। गजेन्द्र सिंह के चाचा गोपाल सिंह कल रात ही गजेन्द्र सिंह का शव दिल्ली से लेकर अपने गांव पहुंच गये थे। उन्होंने कहा कि गजेन्द्र सिंह का पोस्टमार्टम कल दिल्ली में ही हो गया था।

भौमिया के अनुसार, अन्त्येष्टि के मौके पर राजस्थान सरकार के सामाजिक अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी, भाजपा विधायक डॉ. अलका गुर्जर, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री सचिन पायलट, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री नमो नारायण मीना, जितेन्द्र सिंह एवं करणी सेना के नेता लोकेन्द्र सिंह कालवी, गजेन्द्र सिंह के परिजन समेत काफी तादाद में लोग मौजूद थे।

उधर, गजेंद्र के परिजनों ने मौत के लिए आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि उसे खुदकुशी के लिए उकसाया गया होगा। जयपुर से 120 किलोमीटर दूर गजेंद्र के गांव में उनके घर वालों से किसी पत्रकार को फिलहाल नहीं मिलने दिया जा रहा है। पड़ोसियों का कहना है कि उनके वृद्ध पिता और उनकी पत्नी को मौत की बात नहीं बताई गई है। परिवार में गजेंद्र की भतीजी की बीती रात शादी थी।

मालूम हो कि बुधवार को आत्महत्या करने से पहले एक तथाकथित सुसाइड नोट में गजेंद्र ने लिखा था कि पिछले महीने बेमौसम बारिश और ओला-वृष्टि के कारण उसकी फसल बर्बाद हो गई। लेकिन स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि बसावा तहसील में जिसमें गजेंद्र का भी गांव आता है, फसल की बर्बादी 20-25 प्रतिशत के बीच ही है। यह बर्बादी राजस्थान के दूसरे हिस्सों से बहुत कम है।

दौसा के कार्यवाहक जिलाधिकारी कृष्ण शर्मा ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा कि हम लोगों ने गजेंद्र के परिवार वालों की फसल बर्बादी की स्थिति को देखने के लिए तहसीलदार को भेजा है। इस राजपूत बहुल गांव में गजेंद्र का एक मंजिला पक्का मकान है। घर के सामने ही इनके खेत हैं। एक तरफ करौदे का बाग है तो दूसरी तरफ सागौन का बगान है। इन दोनों के बीच में गेहूं की फसल है। तीन भाइयों में गजेंद्र सबसे बड़े थे। इन्होंने 12वीं क्लास तक पढ़ाई की थी। गजेंद्र की शादी कम उम्र में ही हो गई थी। तीन बच्चों में इनकी सबसे बड़ी बेटी 12वीं क्लास में पढ़ती है।

गजेंद्र के परिजनों के मुताबिक, गजेंद्र की मनीष सिसोदिया से बात हुई थी। सिसोदिया के कहने पर ही वे दिल्ली गए थे। गजेंद्र के रिश्तेदारों ने कहा कि वे खुदकशी करने नहीं गए थे, उसे जरूर उकसाया गया होगा। गजेंद्र के चचेरे भाई राजेंद्र सिंह ने कहा, ‘बिजली के खंभे पर चढ़कर बिजली के तार काटे जा सकते हैं, लेकिन पेड़ पर चढ़कर उसे बचाया नहीं जा सकता था। अगर किसी बड़े नेता के घर का कोई मरता, तो क्या रैली वैसे ही चल रही होती? वहां बैठकर उसे उकसाया गया है, तब उसने जान दी है।’