नई दिल्ली। मौसम विभाग के मुताबिक इस साल देश भर में बारिश औसत से कम होगी। पहले ही मौसम की मार झेल रहे किसानों के लिए ये अच्छी खबर नहीं है। जानकारों के मुताबिक इसका कृषि और पूरी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है। सरकार का दावा है कि नुकसान को कम करने और हर तरह के हालात से निपटने के लिए तैयारी की जाएगी। लेकिन किसान अभी से हताश नजर आ रहे हैं।

मार्च के महीने में बेमौसम बरसात ने देश भर के कई इलाकों में खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया। ऐसे में जब किसान बरसात की तरफ ललचाई नजरों से देख रहे हैं तो मौसम विभाग एक बुरी खबर लेकर आया है। बुधवार को जारी बुलेटिन के मुताबिक इस साल भारत में औसत से कम बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। कई तरह के आंकड़ों को इकट्ठा करने के बाद मौसम विभाग इस नतीजे पर पहुंचा है।

मौसम विभाग के मुताबिक इस साल जून से सितंबर के बीच औसत से कम बारिश की संभावना 35 फीसदी है। 33 फीसदी संभावना इस बात की है कि बारिश बहुत ही कम हो। जबकि सामान्य बारिश की संभावना सिर्फ 28 फीसदी है। इसकी सबसे बड़ी वजह एल-नीनो इफेक्ट बताया जा रहा है। इस प्रक्रिया में प्रशांत महासागर में तापमान सामान्य से बढ़ जाता है जिससे बारिश की संभावना कम हो जाती है।

पिछले साल भी भारत में औसत से कम बारिश हुई थी जिसका देश के कई इलाकों में खेती पर काफी असर हुआ था। हालांकि मौसम विभाग ने फिलहाल ये नहीं बताया है कि देश के किन हिस्सों में खराब बरसात का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। इस बात की जानकारी जून के महीने में दी जाएगी। लगातार मौसम की मार झेल रहे किसान को समझ नहीं आ रहा कि उसका भविष्य क्या होगा।

जानकार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार को फौरन हरकत में आ जाना चाहिए। मौसम वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने कहा कि अब आराम का समय नहीं है और अभी से प्लानिंग शुरू कर दी जानी चाहिए।

सरकार का दावा है कि केंद्र के सभी संबंधित विभाग राज्य सरकारों से तालमेल कर हालात का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं। विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर काम करेगी। सभी मंत्रालयों को सूचित करेंगे। भविष्य के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।

जानकारों के मुताबिक ऐसे हालात में सबसे ज्यादा जरूरत वैकल्पिक फसल के लिए योजना बनाने की होती है। साथ ही बीजों का भंडार भी जमा करना होता है। लेकिन सबसे ज्यादा खतरा अनाज की जमाखोरी का

है। खराब बारिश की भविष्यवाणी होते ही बिचौलिए अनाज की जमाखोरी शुरू कर देते हैं जिससे महंगाई बढ़ जाती है और इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।