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हाशिमपुरा जनसंहार का फैसला कानूनी नहीं, राजनीतिक है: मो० शोएब

हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद , कानपुर दंगों  पर जांच आयोगों की रिपोर्ट क्यों नहीं हुई सार्वजनिक

लखनऊ । 20 अप्रैल को विधानसभा के समक्ष होने वाले मशाल मार्च और 26 अपै्रल, रविवार को होने वाले ‘हाशिमपुरा जनसंहार: इंसाफ विरोधी प्रदेश सरकार के खिलाफ’ सम्मेलन की तैयारी के तहत रिहाई मंच ने चिकमंडी मौलवीगंज में नुक्कड़ सभा की। 

सभा को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि हाशिमपुरा जनसंहार में आया फैसले का कानूनी के बजाए राजनीतिक है जिसमें राजनीतिक कारणों से 42 बेगुनाह मुसलमानों की हत्या के जिम्मेदार पुलिस वालों को जानबूझकर बचाया गया। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका मौजूदा समाजवादी पार्टी की सरकार की रही है। जिसने कई बार सत्ता में होने के बावजूद दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए प्रमोशन दिया और जांच के अपराध के अहम तथ्यों को मिटाया और इस मामले पर गठित जांच आयोगों की रिपोर्टों को लगातार दबाए रखा। उन्होंने कहा कि सपा की सरकारों ने ऐसा लगातार मुसलमानों को दहशतजदा रखने के लिए किया ताकि वो आरएसएस के मुस्लिम विरोधी एजेण्डे को पूरा कर सके। सरकार के इस इंसाफ विरोधी एजेण्डे के खिलाफ हम हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद, कानपुर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित जांच आयोगों की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर यह अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि 26 अप्रेल को होने वाले सम्मेलन में हाशिमपुरा, मलियाना और मुरादाबाद के पीडि़त शामिल होंगे। 

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि आगरा में चर्च पर हिंदुत्वादी तत्वों द्वारा किया गया हमला साबित करता है कि सपा सरकार में उनके हौसले बुलंद हैं क्योंकि सपा सरकार भाजपा के साथ गुप्त समझौते के तहत उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। 

नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए हाजी फहीम सिद्दीकी और सैय्यद वसी ने कहा कि हाशिमपुरा मामले में आए इंसाफ विरोधी फैसले पर सपा सरकार के मुस्लिम मंत्रियों और विधायकों की चुप्पी ने साबित कर दिया है कि यह मुस्लिम नेता मुसलमानों और इंसाफ के सबसे बड़े दुश्मन हैं। इस जनअभियान के तहत ऐसे नेताओं का पर्दाफाश किया जा रहा है। जनअभियान में शामिल खालिद कुरैशी, लक्ष्मण प्रसाद, फरीद खान ने बताया कि इस अभियान के तहत हाशिमपुरा समेत विभिन्न नाइंसाफियों के सवालों को जनता के बीच ले जाया जा रहा है। क्योंकि इंसाफ जब-जब कमजोर होता है तो लोकतंत्र खतरे में पड़ता है। यह मुहीम लोकतंत्र को बचाने की मुहीम है। 

नुक्कड़ सभा में वरिष्ठ रंगकर्मी आदियोग व शायर सलीम ताबिश ने जनअभियान में गीतों व शायरी के माध्यम से जनजागरुकता की। सभा का संचालन अनिल यादव ने किया। 

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