नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिना शादी किए साथ रहने वाले युगल के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। उच्चतम कोर्ट ने कहाकि, यदि अविवाहित युगल पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहा है तो उन्हें कानूनी रूप से शादीशुदा माना जाएगा और अपने साथी की मौत के बाद महिला उसकी वारिस होेगी।
जस्टिस एमवाय इकबाल और जस्टिस अमिताव रॉय की बैंच ने कहाकि, एक युगल के लगातार साथ रहने से वैध विवाह की धारणा मजबूत होगी और इसके चलते दूसरे पक्ष को साबित करना होगा कि युगल कानूनी रूप से शादीशुदा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने संपति विवाद के एक केस में यह आदेश दिया। इस केस में परिवार वालों का कहना था कि उनके दादा अपनी पत्नी की मौत के बाद एक महिला के साथ 20 साल से रह रहे थे इसलिए उनकी संपति में उसका हिस्सा नहीं दिया जा सकता। परिवार वालों का कहना है कि वह महिला उनके दादा की मिस्ट्रेस थी।
इस मामले में महिला यह सिद्ध नहीं कर पाई थी कि वह कानूनन विवाहित है। लेकिन जब परिवार के सदस्यों ने माना कि उसके दादा के संबंध महिला के साथ थे तो कोर्ट ने उस महिला का कानूनन पत्नी माना। बैंच ने कहाकि,”यदि एक पुरूष और महिला लंबे समय से साथ रह रहे हैं तो कानून शादी के पक्ष में रहता है और उपपत्नीत्व के खिलाफ है। हालांकि असंदिग्ध सबूतों के चलते इस धारणा का खंडन किया जा सकता है। जो पक्ष कानूनी उत्पत्ति वाले रिश्ते के खिलाफ है तो उस पर बड़ा बोझ होता है।”
बैंच ने आगे कहाकि, यदि यह साबित हो जाता है कि युगल बिना विवाह के संबंध बनाने नहीं बल्कि शादी के उद्देश्य से साथ रह रहे थे तो पुरूष व महिला पति-पत्नी माने जाएंगे और उनके ऊपर कानून लागू होगा। गौरतलब है कि 2010 में पति और पत्नी के रूप में साथ रहने वाले युगल के पक्ष में फैसला देने के बाद से सुप्रीम कोर्ट महिला को पत्नी का अधिकार देता आया है।
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