तेहरान : ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सउदी अरब और उसके सहयोगियों को चेताया कि यमन में उनके द्वारा किए जा रहे हवाई हमले ‘गलत’ हैं जिन्हें तुरंत बंद कर देना चाहिए।

गौरतलब है कि सउदी अरब और उसके सहयोगी यमन में ईरान समर्थक शिया विद्रोहियों पर हवाई हमला कर रहे हैं जिन्होंने यमन के ज्यादातर हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है। दो सप्ताह हो गए हैं लेकिन सउदी नेतृत्व वाला गठबंधन हुथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र को मुक्त कराने में असफल रहा है और विद्रोहियों के बढ़ते प्रभाव के कारण राष्ट्रपति आबेद रब्बू मंसूर हादी को देश छोड़कर भागना पड़ा है। इस मामले में तेहरान और विद्रोही दोनों इनकार करते हैं कि, ईरान उन्हें हथियार दे रहा है।

हुथियों और पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के वफादारों सहित अन्य सहयोगियों पर लगातार हो रहे हवाई हमले भी विद्रोहियों को अदन की ओर बढ़ने से नहीं रोक पा रहे हैं। तेहरान में अपने भाषण में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने यमन में संघर्ष विराम की अपील करते हुए संकट समाप्त करने के लिए बातचीत करने को कहा।

उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र के सभी देशों से, मैं कहता हूं, भाईचारे की भावना अपनाएं, एक-दूसरे का और दूसरे राष्ट्रों का सम्मान करें। एक राष्ट्र बमबारी के डर से नहीं हारता। मासूम बच्चों को ना मारें। युद्ध को समाप्त करने, संघर्षविराम और तकलीफों से जूझ रहे यमन के लोगों के लिए मानवीय सहायता पर विचार करें।’

रूहानी ने सीरिया और इराक का उदाहरण देते हुए कहा कि हवाई हमले और बमबारी ‘गलत’ हैं। सीरिया और इराक में अमेरिकी नेतृत्व वाला गठबंधन लगातार इस्लामिक स्टेट के उग्रवादियों को निशाना बना रहा है। किसी देश विशेष का नाम लिए बगैर रूहानी ने कहा, ‘आपको एहसास होगा, बहुत देर से नहीं बल्कि जल्दी ही, कि आप यमन में भी गलती कर रहे हैं।’

इस बीच यमन में शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की कोशिश के तहत ईरान के विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने बृहस्पतिवार को इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बातचीत की। बुधवार को इस्लामाबाद पहुंचे जरीफ ने कहा कि ईरान शांतिवार्ता आगे बढ़ाने को तैयार है जिससे यमन में व्यापक आधार वाली सरकार बनेगी।

उन्होंने कहा, ‘यमन संकट समाप्त करने के लिए हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। हमें यमन में राजनीतिक हल खोजने की जरूरत है, एक ऐसा विस्तृत राजनीतिक हल जो यमनी वार्ता के माध्यम से व्यापक सरकार तक ले जाए।’ जरीफ की इस्लामाबाद यात्रा ऐसे वक्त में हुई है, जब पाकिस्तानी संसद में बहस चल रही है कि पाकिस्तान को सउदी नेतृत्व वाले हवाई हमले में अपने सैनिकों को भेजना चाहिए या नहीं।