लखनऊ: पुलिस भर्ती घोटाले की आंच से अभी उत्तर प्रदेश उबर भी नहीं पाया था कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में पर्चा लीक के रूप में हुए एक और बड़े घोटाले ने इस सरकार की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर दिया।

कुछ विशेष जिलों से विशेष जाति के लोगों को वरीयता देकर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार समाज में वैमनस्यता पैदा करने का लगातार प्रयास कर रही है, जिसकी परिणति पुलिस भर्ती घोटाले के रूप में सामने आया है। इतना ही नहीं इसके चलते उ0प्र0 के तमाम जिलों में होनहार नवयुवकों को सड़कों पर उतरना पड़ा और पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी, लेकिन इस सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगीं।

प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने कहा कि उ0प्र0 लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर जबसे अनिल यादव विराजमान हैं, आये दिन भर्ती की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां तक कि पिछले वर्ग के आरक्षण में एक विशेष जाति को तरजीह देने के विरोध में अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को इलाहाबाद के अन्दर लम्बे समय तक सड़कों पर उतरकर धरना-प्रदर्शन, अनशन करना पड़ा। अब उ0प्र0 लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा का पेपर जिस तरीके से गोलबन्दी कर लीक किया गया और परीक्षा के दो दिन पहले से ही भारी रकम लेकर पेपर लीक किये जाने की चर्चा अभ्यर्थियों के बीच में भी रही है। 

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के जरिये लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों का भविष्य जो उनकी कड़ी मेहनत एवं उनके अभिभावकों द्वारा विषम परिस्थितियों में भी धन खर्च कर बड़े ही अरमान से इस परीक्षा में सम्मिलित होकर उत्तीर्ण होने की अभिलाषा पाली थी, इस सरकार के गलत रवैये की वजह से उन अरमानों पर पानी फिर गया है और उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी एवं उच्च श्रेणी की प्रतियोगी परीक्षा मजाक बनकर रह गयी है।

उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी मांग करती है कि पुलिस भर्ती घोटाले के साथ ही उ0प्र0 लोक सेवा आयोग परीक्षा में हुए पर्चा लीक मामले की सी0बी0आई0 जांच करायी जाय, जिससे इन प्रतियोगी परीक्षाओं की विश्वसनीयता और गुणवत्ता कायम रह सके।