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किसानों पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं सपाई: पाठक

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने कहा किसानों पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले समाजवादी पार्टी के लोग दंभ तो किसान हितैषी होने का करते है लेकिन जब किसानों के हितो को संरक्षण देने को बात आती है तो लक्ष्य घटाकर आधा कर देते है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने गेहूं खरीद को लेकर राज्य सरकार द्वारा लिये गये निर्णय पर कहा कि सत्ता में आने पर लक्ष्य 60 लाख और अब तीन साल बाद लक्ष्य घटकर 30 लाख। 

पार्टी के राज्य मुख्यालय पर गेहंू खरीद को लेकर राज्य मंत्रीपरिषद में हुए फैसलो पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि 2012 में राज्य की सत्ता में आने पर अखिलेश सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद कर लक्ष्य तय किया। यद्यपि सरकार के प्रयासों के बावजूद मात्र 45 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो पाई जबकि मुख्यमंत्री खुद गेहूं खरीद को लेकर जनपदों में निकले थे और किस तरह गेहूं खरीद में घटतौली होती इसका साक्षात अनुभव उन्होनंे उन्नाव के एक खरीद केन्द्र पर किया जिसमें उन्होंने खुद का वजन 20 किलो कम पाया। 

उन्होंने कहा कथनी और करनी में विभेद करती अखिलेश सरकार राज्य की जनता को फसलों में हुए नुकसान की भरपाई का भरोसा ही नहीं दिला पा रही है नतीजन राज्य में अब तक बरबाद हुई फसलों के सदमें से 64 मौते हो चुकी है। इनमें जलौन के 12, उन्नाव के 05, महोबा के 05, हमीरपुर के 04, इटावा के 04, फर्रूखाबाद के 03, कानपुर देहात के 01 किसान शामिल है जबकि अलीगढ़ और हाथरस को मिलाकर के ही 23 किसानों की मौत हो चुकी है। सदमें में हुयी मौतों को नकारने में जुटी अखिलेश सरकार नित मुआवजे की घोषणा कर रही हैं, दावे हो रहे है लेकिन नतीजा सिफर है किसान सरकारी दावों और इमदात पर भरोसा नहीं कर पा रहा है और सूबे में फसल बर्बादी पर किसानों की मौतो का सिलसिला नहीं थम रहा है। 

श्री पाठक ने कहा कि अखिलेश सरकार में राज्य का किसान परेशान और बेहाल है एक तो दैवीय आपदाये ऊपर से सरकारी कारसतानी इमदात की घोषणाएं होती है पर वो पहुंचेगी कैसे ? पहले भी सूखा राहत को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई फिर प्रस्ताओं को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के दौर चले असलियत है कि अभी भी कई जगहों पर सूखा राहत के लिए आये केन्द्रांश का वितरण शेष है। यह सही है कि उ0प्र0 में फसलों को लेकर भारी नुकसान हुआ और उस नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए उसके लिए जो भी प्रक्रिया हो वो अपनाई जाये पर किसान को मदद तो मिले।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के समय ये वादा किया था कि किसान के उपज मूल्य का निर्धारण करने के लिए आयोग का गठन किया जायेगा। जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगा। जो लागत मूल्य आयेगा उसका पचास प्रतिशत जोड़कर जो राशि आयेगी विभिन्न फसलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य होगा। ताकि गन्ना, गेहूं, धान की फसल में जुड़े किसानों को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। उन्होनें कहा वादे पूरे करने का दावा करते सपा के लोग तीन माह मेें आयोग की रिपोर्ट की बात कर रहे थे अखिलेश सरकार तीन वर्षो में आयोग ही नहीं बना पायी। गन्ना किसान बकाये को लेकर जूझ रहा है। धान, गेहूं खरीद का हाल ये है कि लक्ष्य से लगातार कम खरीद हो रही है और अब तो लक्ष्य ही घटाकर आधा कर दिया गया।

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