जयपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मुस्लिम चेहरे जफर सरेशवाला को जयपुर में हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग से बाहर निकाले जाने की खबर है। बोर्ड के कुछ सदस्यों ने सरेशवाला की मौजूदगी पर आपत्ति जताई थी। इस पूरे मामले पर सरेशवाला का कहना है कि वह किसी से मिलने गए थे और खुद ही वहां से चले आए थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को जैसे ही बोर्ड की मीटिंग शुरू हुई, वहां ‘दुश्मनों को बाहर निकालो’ और ‘मीर जाफर से तौबा’ जैसे नारे लगाए जाने लगे। आयोजकों ने अचानक हो रहे इस शोर-शराबे की वजह पूछी, तो लोगों ने बताया कि यहां पर मोदी के भेजे दूत बैठे हुए हैं, जो माहौल खराब करना चाहते हैं।
बोर्ड के सीनियर पदाधिकारियों ने उन लोगों को बाहर जाने के लिए कहा, जो मेंबर नहीं है। बताया जा रहा है कि इसके बाद जफर सरेशवाला वहां से चले गए। मगर सोमवार सुबह एक न्यूज चैनल से बात करते हुए सरेशवाला ने कहा कि मैं पहले ही वहां से निकल चुका था, ऐसे में यह कहना गलत है कि मुझे निकाल दिया गया।
बोर्ड के मेंबर और पूर्व एसपी नेता कमाल फारुकी ने बताया कि मीटिंग में बोर्ड के मेंबर ही हिस्सा ले सकते हैं। गौरतलब है कि सरेशवाला बोर्ड के सदस्य नहीं है। इस पर सरेशवाला ने कहा, ‘बोर्ड के मेंबर्स की मीटिंग में तो मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं होती। वहां सदस्यों के अलावा कोई नहीं जा सकता। ऐसे में मुझे निकाले जाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। मैं किसी से मिलने गया था और फिर खुद ही वहां से चला आया था।’
सरेशवाला गुजरात के जाने-माने उद्योगपति हैं। यूरोप के कई देशों के कॉर्पोरेट्स के बीच उनकी पहुंच मानी जाती है। गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद में उनकी फैक्ट्रियां जला दी गई थीं। बाद में नरेंद्र मोदी से उनकी करीबियां बढ़ गई थीं। उन्हें पीएम मोदी का सबसे करीबी मुस्लिम चेहरा माना जाता है।
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