लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय के वाणिज्य, प्रबन्धन एवं अर्थशास्त्र विभागों के संयुक्त तत्वाधान में “Global Opportunities and Challenges for the emerging Indian Economy” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुये यह शब्द प्रो0 अरुन कुमार, सुखुमोय चक्रवर्ती, प्रोफेसर, आर्थिक अध्यन एवं योजना केन्द्र, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली, ने कहे। उन्होंने वैश्वीकरण की चर्चा करते हुये कहा कि काले धन की गम्भीर समस्या देश के विकास में बहुत बड़ा अवरोधक है। कालेधन के स्रोत और उसके कारणो को भी तर्कसंगत उदाहराणों के साथ बताया। इस दौरान इस बात का भी उल्लेख किया कि कालेधन की समस्या के सामाधान के लिये यह आवश्यक है कि सरकार एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के कार्याें में पारदर्शिता हो तथा जनता के प्रति उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये कार्याें का सोशल आडिट भी हो।

प्रो0 खान मसूद, मा0 कुलपति, ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय, ने मुख्य अतिथि एवं आये हुये सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि गोष्ठी में आये महान शिक्षाविदों के विचारों से निश्चय ही प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन होगा तथा सामाजिक शोध में उनको मार्गदर्शन मिलेगा। समारोह में आये हुये अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं शाल भी भेंट किये गये एवं शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये।

कार्यक्रम की संयोजिका का कार्य सुश्री दुआ नक़वी ने संभाला। धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 माहरुख़ मिर्ज़ा  सेमिनार संयोजक ने दिया। डा0 मुशीर अहमद, प्रधान सम्पादक, ने दो दिवसीय सेमिनार की रिपोर्ट भी पेश की। आयोजन समिति में प्रो0 सैयद हैदर अली, सह-संयोजक, डा0 एहतेशाम अहमद, संयोजक सचिव, डा0 नीरज शुक्ला एवं सुश्री दुआ नक़वी सह-संयोजक सचिव, डा0 अताउर्रहमान आज़मी कोषाध्यक्ष, हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया।