मथुरा। मथुरा नगरी में एक मुसलमान ने हिंदू मंदिर बनवाकर सांप्रदायिक सौहार्द्र का एक अनूठा नमूना पेश किया है। मंदिर का निर्माण कराने वाले ग्राम सहार के प्रधान अजमल अली शेख ने बताया कि उन्होंने देखा कि नगला गाजई में कोई मंदिर नहीं है जिससे इस गांव के लोगों को चार किलोमीटर चलकर पास के सहार गांव में पूजा करने के लिए आना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल उस समय अधिक तकलीफ हुई जब उन्होंने देखा कि शिवरात्रि के दिन नगला गाजई की महिलाएं चार किलोमीटर चलकर पूजा करने के लिए सहार ग्राम के मंदिर आईं। उसी दिन उन्होंने निश्चय किया कि उन्हें नगला गाजई में मंदिर बनवाना है।
शेख ने बताया कि आठ महीने पहले उन्होंने मंदिर निर्माण शुरू कराया जो हाल में ही पूरा हो गया। इसमें लगभग साढे चार लाख रुपया खर्च हुआ है। मंदिर में विधि विधान से मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा रविवार को वैदिक मंत्रो के मध्य में हो गई है। इस अवसर पर आयोजित हवन में उन्होंने खुद भाग लिया था।
इस मंदिर में भगवान शिव एवं हनुमान की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। प्रधान अजमल ने कहा कि ईश्वर एक है उसके पाने के रास्ते अलग अलग हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जाति पांत पूंछे नहि कोई। हरि को भजै सो हरि का होई।। उनका कहना था कि आज सबसे अधिक आवश्यकता आपसी भाईचारे को बनाने की है क्योंकि ‘दो नैनन से दीखत एक देखत देखत ऐसा देख। मिट जाय धोखा़ रह जाए एक।’
शेख का कहना था कि मंदिर के बगल में जल्दी ही कुछ कमरे बनवाए जाएंगे जिससे मंदिर के पुजारी के लिए आवास की समस्या न रहे। अन्य कमरे वहां आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बनवाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि मथुरा सांप्रद्रायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल है और यहां दोनों ही संप्रदाय के लोग आपस में एक परिवार की तरह मिलकर रहते हैं। मंदिरों की पोशाक यहां के मुसलमान ही बनाते हैं। इसी भावना को और मजबूत करने के लिए उन्होंने यह मंदिर बनवाया है और भविष्य में वह कुछ ऐसे कार्य करेंगे जो दोनो ही संप्रद्राय को नजदीक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
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