नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में भारी तबाही मचा रखी है. इस वायरस ने अब तक 1 लाख 70 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है और करीब 25 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। कोरोना वायरस का अब तक कोई इलाज नहीं मिला है। इससे बचने के सिर्फ एक ही तरीका है और वो है खुद को संक्रमित लोगों से दूर रखना।

कोरोना से बचने के लिए साबुन और पानी से हाथ धोना व सैनिटाइजर को हाथों पर रगड़ना आदि का सहारा लिया जा रहा है। बेशक यह चीजें कीटाणुओं को मारने में सक्षम है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में जिस अल्कोहल युक्त कीटाणुनाशक के प्रयोग की सिफारिश की है, उसके कारगर होने की पुष्टि एक अध्ययन में हुई है।

जर्मनी की रूर बोचम विश्वविद्यालय (आरयूबी) के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार फार्मेसियों द्वारा यह यौगिक आसानी से तैयार किए जा सकते हैं और बाजार में कीटाणुनाशक की कमी को दूर कर सकते हैं।

एमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने सार्स-कोविड-2 के वायरस को डब्ल्यूएचओ द्वारा बताए गए दो यौगिकों के सामने 30 सेकेंड तक रखा। आरयूबी के स्टीफन फैंडर ने कहा, 'हाथ में लगाने वाले सैनिटाइजर के लिए तय समय-सीमा के आधार पर ही यह समय चुना गया।'

इसके बाद टीम ने इसकी जांच में यह पता लगाने की कोशिश की कि इनमें से कितने वायरस संक्रमित करने के लिए सक्रिय रह पाते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें पाया गया है कि डब्ल्यूएचओ के दोनों यौगिकों ने 30 सेकेंड के भीतर पर्याप्त संख्या में वायरस को निष्क्रिय कर दिया।

इस यौगिक में मुख्य रूप से अल्कोहल एथेनॉल और आइसोप्रोपेनॉल शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ की सिफारिश वाले यौगिक में मुख्य रूप से 80 फीसदी एथेनॉल, 1.45 फीसदी ग्लिसरीन और 0.125 फीसदी हाइड्रोजन पेरॉक्साइड है। वहीं दूसरे यौगिक में 75 फीसदी आइसोप्रोपेनॉल, 1.45 फीसदी ग्लिसरीन और 0.125 हाइड्रोजन पेरॉक्साइड है।