जयपुर: प्रदेश में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के साथ-साथ राजस्थान सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए कुछ प्रभावशाली उपायों की घोषणा की है। इसके साथ ही सरकार ने कोविड- 19 के प्रसार और उसके बाद देशव्यापी लॉकडाउन से उपजे हालात के बाद राज्य की अर्थव्यस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। कोविड- 19 के प्रसार को देखते हुए राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ने भीलवाड़ा नगरपालिका क्षेत्र में कफ्र्यू लगा दिया था और केंद्र द्वारा राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के कुछ दिन पहले ही राज्यव्यापी पूर्ण तालाबंदी का एलान कर दिया था, हालांकि इन कदमों से राज्य की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़े। आकलन है कि मांग में गिरावट और श्रम शक्ति की कम उपलब्धता के साथ, उद्योग को सामान्य स्थिति में आने में कम से कम 3 महीने लगेंगे। लाॅकडाउन के बाद राज्य पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभावों की चर्चा करते हुए सरकार ने कहा है कि एक तरफ राज्य सरकार की राजस्व आय लगभग शून्य है, दूसरी तरफ खर्च तेजी से बढ़ता जा रहा है। एक वर्ष पहले की समान अवधि अर्थात 2019 की तुलना में 10 मार्च और 31 मार्च 2020 के बीच लगभग 3500 करोड़ रुपये कम राजस्व हासिल हुआ। इसी तरह, 1 और 7 अप्रैल-2020 के बीच पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 300 करोड़ रुपये कम राजस्व प्राप्त हुआ है। आम तौर पर वाणिज्यिक कर, उत्पाद शुल्क और अन्य करों का संग्रह मार्च के अंतिम सप्ताह में ही होता है, लेकिन इस बार लाॅकडाउन के कारण यह संग्रह भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जहां तक खर्च की बात है, पीपीई उपकरण, वेंटिलेटर, रोगियों की जांच और अन्य कल्याणकारी उपायों जैसे कि पीडीएस के माध्यम से 5 करोड़ लोगों के बीच गेहूं का वितरण, आदि कार्यों पर 2600 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। केंद्र सरकार की तरफ से 5 किलोग्राम गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार भी जरूरतमंदों को अपनी ओर से 5 किलोग्राम गेहूं मुफ्त में वितरित कर रही है। इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में भी वृद्धि की गई है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री के वर्तमान सलाहकार और पूर्व वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष समूह भी बनाया गया है। लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने के बाद कोविड- 19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले विशिष्ट कदमों को लेकर यह समूह विचार-विमर्श कर रहा है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मंदी के वर्तमान हालात में राज्य की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पीएम केयर्स फंड से अनुदान जारी करने के साथ-साथ ऋण अदायगी को टालने और ब्याज में कमी करने और कई अन्य उपायों को लागू करने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने राज्य की आबादी और कोविड- 19 के पाॅजिटिव मामलों के आधार पर सभी राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज देने का आग्रह भी किया है। आकलन किया गया है कि पैकेज में राजस्थान की हिस्सेदारी लगभग 5,000 करोड़ रुपये होती है। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने केंद्र से अप्रैल के महीने के लिए केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा महीने की शुरुआत में ही आवंटित करने का भी अनुरोध किया है। आम तौर पर महीने के अंत में शेयर दिया जाता है।