पैनिक में पागलों की तरह खरीदारी करने उमड़ पड़े लोग, खतरे में पड़ी हज़ारों की ज़िन्दगी

तौसीफ कुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।ब्रेकिंग न्यूज़ क्या न करवा दे| लोगों की ज़िन्दगी खतरे में पड़ती है तो पड़ती रहे, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स की धज्जियाँ उड़ती है तो उड़ती रहें, इन टीवी वालों को तो बस अपनी TRP की चिंता है| कभी कभी ऐसा लगता है कि चैनल न्यूज़ के एंकर और रिपोर्टर ये इतने बड़े अनपढ़, जाहिल और गंवार हैं कि इन्हें एक प्रेसनोट भी ठीक से पढ़ना नही आता।

आज सरकारी प्रेस नोट में सारी बातें स्पष्ट होने के बावजूद यह कह कर पैनिक क्रिएट किया गया कि प्रदेश के 15 ज़िले 30 अप्रैल तक पूरी तरह सील कर दिये जायेंगे।जबकि प्रेस नोट में साफ लिखा है कि ज़िले नही प्रभावित इलाके सील किये जाएंगे।चैनलों की इस जाहिलाना हरकत से लोगों में पैनिक फैल गया।और प्रदेश भर में हज़ारों की तायदाद में लोग ज़रूरत का सामान लेने सड़कों पर निकल आये। कुछ खबरिया चैनलों द्वारा जानबूझ कर यह एक अपराधिक कृत्य किया गया है ।हज़ारों लोग जो घबरा के घरों से बाहर निकल आये मीडिया ने उनका जीवन खतरे में डाल दिया है। ऐसे मीडिया संस्थानों के मालिकों और पत्रकारों के खिलाफ अफवाह फैलाने और हत्या के प्रयास जैसी गम्भीर धाराओ में तत्काल मुक़दमा दर्ज होना चाहिये।और इन पर रासुका लगाया जाए ताकि भविष्य में ये ऐसी हरकत दुबारा न कर पाएं। मीडिया का मतलब यह नही की जनमानस की जान ही खतरे में डाल दे। आखिर इनकी भी जवाब देही तय होनी चाहिए।

मीडिया का मतलब यह नही की जनमानस की जान ही खतरे में डाल दे।इतना ही नहीं ख़बरों का प्रस्तुतीकरण साम्प्रदायिकता के नज़रिए से भी कर रहे हैं जिसके चलते समाज में ग़लत वातावरण बन रहा है क्या यह उचित है माना आपको एक ख़ास एजेंडे पर कार्य करना है लेकिन इस समय किसी भी एजेंडे का माहौल नहीं है उनके ख़ास एजेंडे का पुलिस को खंडन करना पड़ रहा है जो आज से पहले कभी नहीं हुआ पुलिस बहुत अच्छा कार्य कर रही है अगर समय रहते खंडन नहीं किए जाते तो माहौल बहुत दूषित हो जाता।