नई दिल्ली: कोरोना वायरस की जांच को लेकर निजी लैब्स द्वारा लिए जा रहे 4,500 रुपये के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट किया है कि जांच के लिए पैसे लिये जाने की अनुमति नहीं दे सकते. अदालत ने कहा कि प्राइवेट लैब को कोरोना जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. हम इस मसले पर आदेश पारित करेंगे. सुनवाई के दौरान जस्टिस भूषण ने कहा, 'उन्हें COVID19 के लिए लोगों के परीक्षण के लिए चार्ज करने की अनुमति नहीं देते हैं. परीक्षणों के लिए सरकार से पैसे लेने का मैकेनिज्म बना सकते हैं.'

बुधवार को जस्टिस अशोक भूषण और एस रवींद्र भट की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह एक कोई मैकेनिज्म बपनाए जिसके जरिए निजी लैब्स के टेस्ट चार्ज को सरकार को वापस कर सकें. पीठ ने स्पष्ट किया है कि वह इस संबंध में आदेश पारित करेगी. केंद्र की ओर से इस सुनवाई के दौरान पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस मामले में निर्देश लेंगे. मेहता ने कहा लैब्स में रोज 15,000 टेस्ट हो रहे थे. 47 प्राइवेट लैब्स को जोड़ा गया.

बीते महीने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मान्यता प्राप्त निजी प्रयोगशालाओं को मंजूरी दे दी थी. इसके साथ ही प्रत्येक कोविड-19 जांच की कीमत 4,500 रुपये तय की गई थी. 4500 रुपये देकर कोरोना वायरस की जांच कराई जा सकती थी. इसके शुल्‍क में 3000 रुपये जांच और 1500 रुपये स्‍क्रीनिंग के शामिल हैं. हालांकि सरकार ने लोगों से बिना कारण जांच न कराने की भी अपील की है. जांच कराने के लिए आपको क्वालिफाइड फिजिशियन से लिखवाना होगा.