बोले – पूर्व CJI ने 'ज्यूडीश्यरी की आजादी, निष्पक्षता के सिद्धांतों से समझौता' किया

नई दिल्ली: पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को राज्यसभा का ऑफर मिलने पर अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सवालिया निशान लगाए हैं। उन्होंने कहा है, “जस्टिस गोगोई ने मनोनयन स्वीकार कर ज्यूडीश्यरी (न्याय-तंत्र) की स्वतंत्रता में आम लोगों के विश्वास को निश्चित तौर पर झटका दिया है, जो कि भारतीय संविधान के बुनियादी ढांचे में से एक है।”

जस्टिस गोगोई के साथी रहे जज कुरियन ने यह भी कहा- मैं यह देखकर ‘हैरान’ हूं कि आखिर कैसे पूर्व सीजेआई ने ‘ज्यूडीश्यरी की आजादी और निष्पक्षता के सिद्धांतों से समझौता कर लिया।’

जस्टिस जोसेफ ने कहा, “इस घड़ी में लोगों के विश्वास को झटका लगा है। इस पल में ऐसा समझा जा रहा है कि जजों में एक धड़ा किसी के प्रति झुका है या फिर आगे बढ़ना चाह रहा है।” जस्टिस जोसेफ ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम व्यवस्था 1993 में आई थी, ताकि न्याय-तंत्र को ‘पूरी तरह से स्वतंत्र बनाया जा सके।

सेवानिवृत्ति के बाद खुद कोई पद न स्वीकारने को लेकर उन्होंने बताया, “मैं उस ऐतिहासिक कदम (चार जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला) के जरिए लोगों के सामने आया था, जिसमें देश को बताना था कि इस फाउंडेशन (न्याय तंत्र) को बड़ा खतरा है और मुझे अब यह खतरा और भी बड़ा लगता है। यह भी एक वजह है कि मैंने रिटायरमेंट के बाद खुद कोई पद नहीं स्वीकारा।”

जनवरी, 2018 में जस्टिस जोसेफ और जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में थे, जिन्होंने देश की न्याय व्यवस्था में अनियमतताओं को लेकर अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने इस दौरान तब के सीजेआई दीपक मिश्रा को विभिन्न मसलों से जोड़कर सवालिया निशान लगाए थे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अहम मामलों के आवंटन की बात भी थी।