भोपाल: कांग्रेस सांसदों की बगावत के बाद से ही मध्य प्रदेश में सियासी घटनाक्रम तेजी से घट रहे हैं। राज्यपाल लालजी टंडन ने जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ को 17 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा है, वहीं सीएम कह रहे हैं कि उनके पास जब नंबर है तो फ्लोर टेस्ट का सवाल ही कहां उठता है। हां, बीजेपी चाहे तो अविश्वास प्रस्ताव जरूर ला दे। एक तरफ फ्लोर टेस्ट का मुद्दा मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच टकराव का सबब बनता दिख रहा है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा दिया है। जल्द फ्लोर टेस्ट की मांग वाली शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर 17 मार्च को ही सुनवाई होनी है यानी मंगलवार के दिन भोपाल से लेकर दिल्ली तक तेज हलचल रहने वाली है।

17 मार्च को बहुमत परीक्षण करने से जुड़ी गवर्नर की चिट्ठी मिलने के कुछ ही घंटे बाद कमलनाथ खुद राजभवन जा पहुंचे। राज्यपाल से मुलाकात के बाद उनके जो तेवर दिखे, वह साफ इशारा है कि सरकार गर्वनर के निर्देश को फिर से हवा में उड़ाएगी। कमलनाथ ने दावा किया कि उनकी सरकार के पास आज भी जरूरी नंबर हैं तो फ्लोर टेस्ट क्यों देना। उन्होंने कहा, 'अगर कोई यह कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं है तो वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। मुझे क्यों फ्लोर टेस्ट देना? 16 विधायकों (कांग्रेस के बागी जिनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है) के साथ क्या समस्या है? उन्हें सामने आना चाहिए और अपनी राय रखनी चाहिए।'

राज्यपाल से मुलाकात को लेकर कमलनाथ ने कहा, 'मैं गवर्नर से मिला। हमने मौजूदा राजनीतिक मुद्दों पर बात की। मैंने उन्हें विधानसभा में आज के उनके अभिभाषण के लिए धन्यवाद दिया। मैंने कहा कि हम संविधान के दायरे में काम करने के लिए तैयार हैं लेकिन हम इस दायरे से बाहर नहीं जा सकते।'

राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को सोमवार को सत्र के पहले दिन ही बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। इसे टालने के लिए कमलनाथ सरकार ने कोरोना वायरस को हथियार बनाया और स्पीकर ने 26 मार्च तक के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी। इसके बाद राज्यपाल ने कड़ी भाषा में कमलनाथ को एक और चिट्ठी लिखी। सोमवार को फ्लोर टेस्ट न होने पर नाराजगी जताते हुए उन्हें 17 मार्च को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया।