नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ प्रस्ताव पास हो गया। आम आदमी पार्टी विधायकों के बहुमत वाले सदन में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी के तहत जनता से अपनी नागरिकता साबित करने को कहा जाएगा। 90% लोगों के पास ये साबित करने के लिए कोई सरकारी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। क्या सबको डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा? यहां विधानसभा में 70 विधायक हैं। लेकिन सिर्फ 9 विधायकों ने कहा की उनके पास जन्म प्रमाण पत्र है। सभी को डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाएगा। केजरीवाल ने चुनौती देते हुए कहा कि सभी केंद्रीय मंत्री सरकार द्वारा जारी किए अपने जन्म प्रमाण पत्र भी दिखाएं।

केजरीवाल ने आगे कहा, “20 जून 2019 को राष्ट्रपति जी ने साफ-साफ कहा था की- “केंद्र सरकार ने तय किया है कि एनआरसी को अमल किया जाए।’ 10 दिसंबर 2019 को संसद में गृहमंत्री ने कहा था की – “हम इस पर बिल्कुल साफ है कि एनआरसी तो हो कर रहेगा। इस गलतफहमी में मत रहना की एनआरसी नही होगा। एनपीआर के बाद ये एनआरसी करवाएंगे। राष्ट्रपति और गृहमंत्री ने स्पष्ट किया था की एनआरसी होकर रहेगा।”

केजरीवाल ने कहा, “गृहमंत्री अमित शाह ने देश को एक क्रोनोलॉजी बताई थी- पहले सीएए आएगा, फिर एनपीआर आएगा और फिर एनआरसी आएगा। ते तीनों कानून एक दूसरे से जुड़े है। देश के सारे लोगों की नागरिकता पर ये सवाल उठाएंगे। कल गृहमंत्री ने कहा कि एनपीआर में कोई दस्तावेज नही मांगे जाएंगे। उन्होंने ये नही कहा कि एनआरसी में दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे। ” केजरीवाल ने कहा कि मेरे परिवार और पूरे कैबिनेट के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। ये डर सबको सता रहा है। केंद्र से मेरी अपील है की एनपीआर और एनआरसी को रोक दिया जाए।

इससे पहले सरकार में मंत्री गोपाल राय ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि एनपीआर से देश में ज्यादातर लोग परेशान होंगे। राय ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह चाहे जो भी आश्वासन दें, लेकिन वे एनपीआर के 2003 के नियमों के तहत बाद में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) लाकर रहेंगे।