लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने यहां हुसैनाबाद स्थित घंटाघर पर सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ 56 दिनों से लगातार आंदोलनरत महिलाओं के मानवाधिकार का हनन करने का आरोप योगी सरकार और जिला प्रशासन पर लगाया है। पार्टी ने कहा है कि अब तक तीन महिलाओं की मौत धरनास्थल पर बारिश में भींगने और ठंड से हो चुकी है, लेकिन पुलिस प्रशासन कम-से-कम एक टेंट तक लगाने की अनुमति महिलाओं को नहीं दे रहा है, जबकि धरना वहां दिन-रात जारी है। महिलाओं को खुले में बारिश-ओले व ठंड की मार साहनी पड़ रही है। यदि प्रशासन ने जरा भी मानवीय रुख दिखाया होता, तो इन मौतों को रोका जा सकता था।

पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि तीन मौतों के बाद भी लखनऊ पुलिस का रवैया संवेदनहीन बना हुआ है। यदि यही हाल रहा, तो आगे और भी मानवीय क्षति हो सकती है। कहा कि सरकार को संपत्ति नुकसान की चिंता है, लेकिन मानवीय क्षति की नहीं। शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ महिलाओं के आंदोलन अन्य शहरों में भी चल रहे हैं, लेकिन राजधानी में ही महिलाएं खुले में धरना देने और मौसम की मार सहने या मरने के लिए प्रशासन द्वारा विवश की गई हैं। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है और सरकार की इस संवेदनहीनता का संज्ञान न्यायपालिका को लेना चाहिए। राज्य सचिव ने घंटाघर पर धरनारत महिलाओं को टेंट लगाने की इजाजत देने की मांग की।