नई दिल्ली: सिंधिया राजघराने से तालुक्क रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अभी तक उन्होंने ये ऐलान नहीं किया है कि वो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होंगे की नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजने की तैयारी में हैं। इस बीच सिंधिया समर्थक 19 विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार संकट में घिर गई है।

1980 में कांग्रेस में शामिल होने वाले माधवराव सिंधिया का कद कांग्रेस पार्टी में बहुत बड़ा था। उनके पूर्व सहयोगी और विदेश मंत्री रह चुके नटवर सिंह ने भी आज कहा कि उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने से कोई ताज्जुब नहीं हुआ है। उनके पिता माधवराव सिंधिया अगर जीवित रहते तो जरूर प्रधानमंत्री बनते। 1996 में कांग्रेस पार्टी से संबंध खराब होने के बाद माधवराव सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी थी। उसी साल उन्होंने मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस (MPVC) का गठन किया था। 1996 लोकसभा चुनाव उन्होंने इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और ग्वालियर से जीत हासिल की। हालांकि कुछ दिनों बाद ही वह कांग्रेस में वापस आ गए थे। 1998 और 1999 लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया गुना लोकसभा सीट से सांसद बने।

इंडिया टुडे में 1996 में हरिंदर बवेजा की छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उस समय कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पिता की जगह चुनाव लड़ने का ऑफर किया था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।

सिंधिया राजघराने का सियासी सफर कांग्रेस से 1957 में शुरू हुआ था। विजयाराजे सिंधिया ने 1957 और 1962 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर ही जीता था। 1967 के चुनाव से पहले उन्होंने स्वतंत्र पार्टी का दामन थाम लिया और कांग्रेस छोड़ दी। सिंधिया राजघराना 1971 लोकसभा चुनाव से पहले जनसंघ में शामिल हुई हैं और 2001 तक अपने मृत्यु तक पहले जनसंघ फिर भारतीय जनता पार्टी में रहीं। विजयाराजे सिंधिया के अलावा उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने 1996 और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस पार्टी छोड़ी है।