नई दिल्ली:- वर्तमान सरकार नागरिकता कानून को हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा बनाकर प्रस्तुत कर रही है जबकि वास्तविकता यह है कि इस कानून का हिंदुओं और मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि इस कानून को लाकर देश के धर्मनिरपेक्षता को खत्म करने का प्रयास हैं. धर्मनिरपेक्षता ही देश के सभी धर्मो सभी वर्गो को एक सूत्र में पिरोती है लेकिन सरकार इसी सूत्र को काटना चाहती हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा हिंद अपने अस्तित्व से ही देश की धर्मनरपेक्षता को मूल आधार मानती हैै और आजतक अपनी इसी पहचान पर कायम हैं।
मौलाना मदनी ने दिल्ली हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार का पक्षपात पूर्ण रवैया बेहद निंदनीय एवम् दुखद हैं. मौलाना मदनी ने कहा कि नागरिकता कानून के पीछे कि सोच को देश नकार चुका है और यही कारण है कि वर्तमान सरकार अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि हम किसी के नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हमारी मांग है कि कानून सबके लिए बराबर हो और किसी कानून को आधार मानकर किसी की नागरिकता नहीं ले सकते जो सदियों से हिंदुस्तान में रह रहे हैं।
दिल्ली हिंसा का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि नेताओ के भड़काऊ भाषणों ने 49 बेगुनाहों की जान ले ली और सैकड़ों लोग बेघर हो गए फिर भी केंद्र की मौजूदा सरकार अभी तक उन नेताओं पर कोई कार्यवाही नहीं कर की और दंगे के मुख्य आरोपी कपिल मिश्रा को Y कटेगरी की सुरक्षा देकर पूरे विश्व में अपनी नफरत की राजनीति का संदेश दे रही हैं. मौलाना मदनी ने कहा कि सरकार ये भ्रम फैला रही है कि नागरिकता कानून का विरोध सिर्फ मुसलमान कर रहे है जबकि देश का हर संविधान प्रेमी इस कानून के विरोध में है.
मौलाना मदनी ने कहा कि जिस प्रकार से 1950 से 2010 तक जनगणना हुई इसी प्रकार से जनगणना कराई जाए और पुरा देश जनगणना के इसी प्रारूप के पक्ष में हैं
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