रिपोर्ट- रमेश चन्द्र गुप्ता

बहराइच: सरकारी चिकित्सालय में चिकित्सको व स्टाफ की संवेदनहीनता लम्बे अर्से से चर्चा मे है। जहां चिकित्सकों व स्टाफ की मनमानी के चलते कई मरीजो को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है और आये दिन मरीजो के तीमारदारों का चिकित्सक व स्टाफ से झगड़ा होता रहता है। इसका जीता जागता उदाहरण आज एक बार फिर सामने आया जब जिले के सरकारी महिला चिकित्सालय में प्रसव कराने हेतु पहुंची महिला का प्रसव किसी चिकित्सक की देखरेख के अभाव मे सड़क पर ही आसपास मौजूद लोगो के सहयोग से हो गया।

जनता की सेवक व ईश्वर का रूप माने जाने वाले डाक्टरो की यह जिम्मेदारी होती है कि वह किसी भी मरीज की किसी भी हालत में जान बचा ले। लेकिन सरकारी अस्पताल में तैनात किए गए सरकारी डाक्टरों की संवेदनशीलता शायद अब बद से बदतर होती जा रही है। यही वजह है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर निर्दयी ही नही बेहद निरंकुश बनते जा रहे हैं एक तरफ सड़क पर गर्भवती महिला तड़पती रही। वही दूसरी ओर कुछ दूर बैठे चिकित्सक व स्टाफ पर जूँ तक नहीं रेंगी।

प्राप्त सूचना के अनुसार नगर क्षेत्र के मोहल्ला बशीरगंज की रहने वाली शफीकुन्निशा नामक महिला के परिजन प्रसव पीड़ा बढ़ने पर देर रात उसे लेकर जिला महिला अस्पताल पहुँचे। रात अधिक होने की वजह से डाक्टरों ने उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती करने से मना कर दिया। इसी बीच महिला को प्रसव पीड़ा शुरु हो गई और सड़क पर महिला को तड़पता देख आसपास मौजूद दूसरे मरीजों के परिजनों ने कपड़े से ढककर महिला की डिलीवरी करायी। चिकित्सक व स्टाफ के देखरेख व समुचित इलाज के अभाव में प्रसूता महिला को अस्पताल परिसर के बाहर सड़क पर ही बच्चा पैदा हो गया।

प्रसूता महिला द्वारा सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिये जाने के बावजूद भी डाक्टरों व स्टाफ की संवेदनहीनता का ये आलम रहा कि महिला अस्पताल गेट के पास चिल्लाती व तड़पती रही पर किसी ने उसे स्ट्रेचर पर अस्पताल के भीतर ले जाने की जहमत नही की। और अन्ततः थक हार कर प्रसूता के परिजन उसे निजी चिकित्सक के यहां उपचार हेतु ले गये। मौके पर मौजूद मरीजो के तीमारदारो का आरोप है कि चिकित्सक व स्टाफ आये दिन मरीजो के साथ इसी प्रकार हीनभावना से ग्रस्त होकर व्यवहार करते है। इस प्रकरण के मीडिया में चर्चा पर आने पर जिला अस्पताल के सीएमएस डाॅ0 डी0के0 सिंह का कहना है कि अस्पताल कर्मियों की लापरवाही की जानकारी मिलने पर उन्हें फटकार लगायी गयी है। साथ ही प्रसव पीड़ा से परेशान महिला को एडमिट न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।