नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट शाहीन बाग से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों को हटाने वाली याचिका पर बुधवार कहा कि अभी इसकी सुनवाई का उपयुक्त समय नहीं है। साथ ही, कोर्ट ने पुलिस को भी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश जारी किए बिना अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख तय कर की। कोर्ट में दायर याचिका में प्रदर्शन के कारण बंद सड़कें खुलवाने की मांग की गई है। बता दें कि शाहीन बाग में दो महीने से ज्यादा वक्त से बंद पड़े सड़क को खोलने के लिए दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई होनी है।

दरअसल, शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर पहले हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तीन लोगों संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्लाह को मध्यस्थ नियुक्त किया है। तीनों मध्यस्थों से शाहीन बाग जाकर प्रदर्शनकारियों से बात करने और ऐसा कोई रास्ता निकालने को कहा था जिससे प्रदर्शन की वजह से बंद रास्ता खुल जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते हफ्ते लगातार चार दिन तक मध्यस्थ धरनास्थल पर गए और बातचीत की। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दी।

कोर्ट ने कहा कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली हिंसा से जुड़ी किसी याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़ी याचिका खारिज कर दी।

मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर किसी ने भड़काऊ बयान दिया है तो पुलिस को आदेशों का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि कानून के मुताबिक काम करना चाहिए। जस्टिस के एम जोसेफ ने पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पुलिस ने क्षमता से काम नहीं किया। अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होती। अगर आप लोगों को खुली छूट देंगे तो मुश्किल पैदा होगी। अगर आप कानून के हिसाब से काम करते तो यह स्थिति नहीं आती। उन्होंने सरकार से कहा कि अगर आप पुलिस को कार्रवाई करने की छूट नहीं देंगे तो कैसे होगा? देखिए, ब्रिटेन की पुलिस कैसे कार्रवाई करती है। क्या उन्हें किसी के इजाजत की जरूरत होती है। अगर कोई भड़काऊ बयान देते है तो पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।

इस मामले को लेकर कोर्ट ने पीठ के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें ऐसे वैकल्पिक स्थल पर जाने के लिए राजी करने को कहा था, जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो। इसके साथ पहले कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति से चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं।