रांची : राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को रांची में स्वयंसेवकों के समागम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन में एक संघ कार्यकर्ता के साथ हुई बातचीत का जिक्र किया। भागवत ने कहा कि नेशनलिज्म शब्द का उपयोग मत कीजिए। नेशन कहेंगे चलेगा, नेशनल कहेंगे चलेगा, नेशनलिटी कहेंगे चलेगा, नेशनलिज्म मत कहो। नेशनलिज्म का मतलब होता है हिटलर… नाजीवाद।

इस दौरान मोहन भागवत ने ये भी कहा, दुनिया के सामने इस वक्त आईएसआईएस, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे सबसे बड़ी चुनौती है। कार्यक्रम में मोहन भागवत ने ये भी कहा कि विकसित देश अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं। इसके जरिए वो अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं।

बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्तंभकारों के एक समूह से कहा था कि खुलापन हिन्दुओं की विशेषता है और इसे बचाए रखा जाना चाहिए। भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज को जागृत होना चाहिए, लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं होना चाहिए। भागवत ने दिल्ली के छत्तरपुर इलाकों में देशभर के 70 स्तंभकारों से बंद कमरे में संवाद किया और आरएसएस के बारे में फैलाई जा रही गलत धारणा को लेकर चर्चा की। आरएसएस प्रमुख के साथ बैठक में मौजूद कुछ स्तंभकारों ने इस संवाद को सार्थक बताया जिसमें विविध विषयों पर व्यापक चर्चा हुई।

भागवत ने कहा, 'खुलापन हिन्दुओं की विशेषता है और इसे बचाये रखा जाना चाहिए।' भागवत ने हिन्दुओं को जागृत एवं सतर्क रहने पर जोर देते हुए कहा कि जब तक हिन्दू संगठित एवं सतर्क है, उसे कोई खतरा नहीं है। स्तंभकार के अनुसार, सरसंघचालक ने कहा, 'हिन्दुओं को जागृत रहना है लेकिन किसी के विरूद्ध नहीं। उन्हें प्रतिक्रियावादी होने की जरूरत नहीं। हम किसी का वर्गीकरण नहीं करते हैं। हम किसी पर संदेह नहीं करते हैं।'

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और इसके खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर भागवत ने कहा कि किसी भी कानून को नापसंद किया जा सकता है और उसमें बदलाव की मांग की जा सकती है, लेकिन इसके नाम पर न तो बसें जलाई जा सकती हैं और न ही सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद किया जा सकता है।

सरसंघचालक के संबोधन से पहले स्वयंसेवकों ने योग, व्यायाम, दण्ड प्रहार, सूर्य नमस्कार आदि का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, रांची के सांसद संजय सेठ एवं भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। भागवत बुधवार शाम को रांची पहुंचे। वे यहां 23 फरवरी तक रहेंगे। चार दिवसीय प्रवास के दौरान विभिन्न वर्गों के साथ बैठकें होंगी।