नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में एक बड़े फेरबदल की उम्मीद है। वहीं पार्टी संगठन और राज्यसभा में भी नए चेहरे शामिल किए जाने की संभावना है। अप्रैल में होने वाले द्विवार्षिक चुनावों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को संसद के ऊपरी सदन में भेजने के लिए विकल्पों पर पार्टी चर्चा कर रही है। अगर सूत्रों की माने तो उन्हें छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजे जाने की संभावना है।

कांग्रेस के पास उच्च सदन में फिलहाल जोरदार आवाज उठाने वालों की कमी है और ऐसे में प्रियंका गांधी को भेजकर पार्टी एक नई रणनीति के तहत काम करना चाहती है। पार्टी के भीतर में प्रियंका नाम जरूर उछला है मगर देखने वाली बात यह होगी क्या प्रियंका इसपर सहमति देती हैं। वहीं यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या शीर्ष नेतृत्व उन्हें यूपी की जिम्मेदारी के साथ-साथ राज्यसभा भेजने के लिए राजी होगा।

हालांकि प्रियंका को राज्यसभा भेजने पर पार्टी को वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोप का सामना करना पड़ता है। लोकसभा चुनावों के दौरान, यह स्पष्ट था कि वह अमेठी से बाद में उपचुनाव लड़ेगी, लेकिन कार्यक्रम विफल रहा क्योंकि राहुल गांधी यहां से हार गए, हालांकि वे केरल के वायनाड से जीते थे। खबरें थी कि प्रियंका गांधी वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन पार्टी की अनुमति नहीं मिली।

2019 के लोकसभा चुनावों में गुना से अपनी सीट हारने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उच्च सदन में एक और युवा नेता के लिए भी विचार किया जा रहा है। वहीं राहुल गांधी के साथी मिलिंद देवड़ा और राजीव सातव को महाराष्ट्र से जगह मिल सकती है।

अगर चीजें प्लान के मुताबिक होती हैं, तो कई दिग्गजों को राज्यसभा में लौटने का मौका नहीं मिलेगा। इस साल के अंत में मोती लाल वोरा, अंबिका सोनी और गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इनमें से आजाद को राजस्थान से सीट मिल सकती है, जहां कांग्रेस के पास बहुमत है। एक सूत्र ने कहा कि जहां दो या अधिक सीटें हैं वहां एक अनुभवी और एक युवा नेता को ऊपरी सदन में समायोजित किए जाने की संभावना है। अगर एक है, तो अन्य बातों पर भी विचार किया जा सकता है।