नई दिल्ली: घाटी की ताजा यात्रा के बाद यूरोपीय संघ (ईयू) ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा प्रतिबंधों को जल्दी हटाने का आह्वान किया और साथ ही क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए "सकारात्मक कदमों" को रेखांकित किया। यूरोपीय संघ की टिप्पणी 25 विदेशी दूतों के एक समूह द्वारा जम्मू कश्मीर की दो-दिवसीय यात्रा पूरी करने के एक दिन बाद आई है। केंद्र द्वारा राज्य का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद छह महीने में स्थिति का जायजा लेने के लिए यह यात्रा की गई थी।

बीते अगस्त महीने में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था। साथ ही उसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था।

ईयू प्रवक्ता वर्जिनी बट्टू-हेनरिकसन ने शुक्रवार को कहा कि यात्रा से पुष्टि हुई कि भारत सरकार ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं। कुछ प्रतिबंध हैं, विशेष रूप से इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर और कुछ नेता अब भी हिरासत में हैं। उन्होंने कहा कि हम गंभीर सुरक्षा चिंताओं को समझते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि शेष प्रतिबंधों को तेजी से हटाया जाए। प्रवक्ता ने कहा कि यात्रा से जमीनी स्थिति देखने और जम्मू-कश्मीर में स्थानीय वार्ताकारों के साथ बातचीत करने के लिए एक स्वागतयोग्य अवसर मिला।

उन्होंने कहा, ‘हम क्षेत्र की स्थिति पर भारत के साथ बातचीत जारी रखने को उत्सुक हैं। इस यात्रा का आयोजन सरकार द्वारा किया गया था ताकि विदेशी दूतों को केंद्रशासित क्षेत्र की स्थिति जानने में मदद मिल सके।

ईयू प्रवक्ता ने कहा कि कार्यक्रम में नागरिक और सैन्य अधिकारियों, कुछ राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ ही नागरिक समाज और कारोबारी समुदाय के कुछ प्रतिनिधियों से बातचीत शामिल थी। पिछले महीने, सरकार 15 दूतों को जम्मू-कश्मीर ले गई थी लेकिन यूरोपीय देशों ने उसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के छह महीने बाद केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का मौके पर जाकर आकलन करने के उद्देश्य से यूरोपीय यूनियन के राजनयिक सहित 25 विदेशी राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को घाटी पहुंचा था। राजनयिकों के इस दौरे का आयोजन केंद्र सरकार की तरफ से किया गया था। इससे पहले जनवरी में 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू-कश्मीर गया था और स्थिति का आकलन किया था। इस दल में अमेरिकी राजदूत केनेथ आई जस्टर भी शामिल थे।