लखनऊ: संयुक्त संघर्ष समिति, उ.प्र. राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड के तत्वावधान में आज से प्रदेश व्यापी वर्क टू रूल आन्दोलन के दूसरे दिन संयोजक राज बहादुर सिंह ने भवन प्रागण के उद्यान मे आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार के आदूदर्शी निर्णय के कारण निगम से 10456 करोड़ रूपये के वे काम वापस हो गए है जिसके लिए कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम कार्यदायी संस्था थी। अब इन कामों को लोक निर्माण विभाग करायेगा। ऐसे में अभी तक लाभ में रहने वाली राष्ट्रीय स्तर पर निर्माण कार्य में प्रथम स्थान रखने वाला राजकीय निर्माण निगम घाटे के चलते बंदी की कगार पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि अब इस आन्दोलन में निगम के अधिकारी भी उतरने का मन बना चुके है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में 50 करोड़ से अधिक लागत वाले शासकीय भवनों के निर्माण कार्यो को लोक निर्माण विभाग केे माध्यम से खुली निविदाये आमंत्रित करके ईपीसी मोड पर कार्य कराये जाने के कारण राजकीय निर्माण निगम के व्यवसायिक हितों एवं उसके कर्मचारियों एवं अधिकारियों के नैतिक अधिकारों के हनन से नाराज संयुक्त संघर्ष समिति का आन्दोलन 16 फरवरी तक वर्क टू रूल आन्दोलन चलाया जाएगा। जबकि दूसरे चरण में 17 फरवरी से 23 फरवरी तक अल्प अवधि का कार्य बहिष्कार किया जाएगा। इसके बाद भी सरकार ने राजकीय निर्माण निगम के हित में इस निर्णय को वापस नही लिया तो 24 फरवरी से अनिश्चित कालीन प्रदेश व्यापी धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।

संघर्ष समिति के सह संयोजक इं. संदीप कुमार सिंह, इं. मिर्जा फिरोजशाह, उमाकान्त, जागेष्वर प्रसाद, इं. नरेन्द्र कुमार, मुकेश चन्द्र, रविराज सिंह, इं. एस.डी. द्विवेदी, ए.के. गोस्वामी, इसहाक अली, सुरेन्द्र कुमार और आशीष कुमार ने बताया कि कर्मचारियों के आन्दोलन से हजारों करोड़ के निर्माण कार्य प्रभावित होगें। सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट जैसे प्रदेश के कई जनपदों में मेडिकल कॉलेज ,इंजीनियरिंग कॉलेज,सिद्धार्थ नगर विश्वविद्यालय ,इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय, गोरखपुर बाल रोग चिकित्सालय, पीजीआई में न्यू ओपीडी भवन, लोहिया रिसर्च सेंटर, सूचना विभाग मुख्यालय, पीजीआई में हॉस्टल, राम मनोहर लोहिया आईएएस अकैडमी समेत सिग्नेचर बिल्डिंग में चल रहे काम प्रभावित होगे होंगे।

समिति के पदाधिकारी एस.पी. पाण्डेय, नान बच्चा तिवारी, शिवनन्दन प्रसाद वर्मा, राजेश कुमार चौहान, संतोष कुमार वर्मा, एस.पी. खण्डूरी, भजनलाल यादव, पी. एन. सिंह ने बताया कि निर्माण निगम के सभी कर्मचारी 10.00 से 5.00 बजे तक ही काम कर रहे है। सरकार के इस निर्णय से राष्ट्रीय स्तर पर निर्माण निगम की उस छबि को खराब किया जा रहा है जिसके चलते राजकीय निर्माण निगम आज देश के 22 राज्यों में कई सौ करोड़ रूपये के काम कर रही है। राजकीय निर्माण निगम की कार्यशैली के उदाहरण के तौर पर लखनऊ हाईकोर्ट, लोकभवन जैसे कई भव्य भवनों को देखाा जा सकता है। । निर्माण निगम के कर्मचारियों के आंदोलन की वजह से सरकार के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों की रफ्तार धीमी हो जाएगी।