नई दिल्ली: गंगा की सफाई को लेकर अबतक कई आरटीआई अर्जी दायर की जा चुकी हैं। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में अबतक कई करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2018 को जल संसाधन मंत्रालय के नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की तरफ से उपलब्ध कराए गए आरटीआई दस्तावेजों में खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार ने गंगा से जुड़े विज्ञापनों पर 2014 से लेकर 2018 के बीच करोड़ों रुपये कर्च किए हैं।

इस आरटीआई में वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2018-19 के बीच प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) की तरफ से जारी विज्ञापनों पर हुए खर्च के बारे में पूछा गया था। जवाब में बताया गया है कि 2014-15 से लेकर 2018-19 के बीच विज्ञापनों पर सरकार द्वारा 36.47 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 2014 में विज्ञापनों पर मात्र 2.04 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए थे लेकिन समय के साथ ये रकम बढ़ती गई और 2019 में गंगा सफाई से जुड़े विज्ञापनों पर 10 करोड़ रुपये से भी ज्यादा रुपये खर्च किए गए।

2014-15 में ये रकम 2.04 करोड़ रुपये थी, वर्ष 2015-16 में 3.34 करोड़, 2016-17 में 6.79 करोड़, 2017-18 में 11.07 करोड़ और चुनावी साल के आते ही ये रकम 30 नवंबर 2018 तक बढ़ कर 13.23 करोड़ रुपये पहुंच गई। द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में एक और आरटीआई के तहत जल संसाधन मंत्रालय से यह पूछा गया कि अगस्त 2016 के बाद से कितने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए हैं, किन शहरों में ड्रेनेज नेटवर्क की प्लानिंग हुई है और उनकी मौजूदा स्थिति क्या है? आरटीआई में ये भी पूछा गया था कि सरकार ने 10 स्मार्ट गंगा सिटी बनाने की बात कही थी, उनका क्या हुआ?

इस आरटीआई का जवाब 10 अक्टूबर 2018 को आया जिसमें कहा गया था कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत आज तक कुल 236 परियोजनाओं का आवंटन किया गया है, जिसमें शहर के सीवेज का ट्रीटमेंट, औद्योगिक कचरे का ट्रीटमेंट, ग्रामीण स्वच्छता, वनीकरण, जैव विविधता, जागरूकता फैलाने, नदी के सतह की सफाई आदि के काम शामिल है और इसमें से 63 प्रोजेक्ट अब तक पूरे हो चुके है, बाकी पर काम चल रहा है।