नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का मुद्दा राज्यसभा में उठाने की अनुमति देने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक सोमवार को एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।

उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल शुरू करने के लिए कहा। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस, बसपा और कांग्रेस के सदस्यों ने एनपीआर और सीएए का मुद्दा नियम 267 के तहत उठाने की अनुमति देने की मांग की।

नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नियमों के अनुसार सदन की बैठक का संचालन सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है। वह नियम 267 के तहत तत्काल महत्व के मुद्दों को उठाने की मांग कर रहे हैं। इस पर उपसभापति ने कहा कि सभापति एम वेंकैया नायडू पहले की स्पष्ट कर चुके हैं कि जिन विषयों को सदस्य उठाने की मांग कर रहे हैं, उन्हें दो बजे के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है।

हरिवंश ने प्रश्नकाल के अलावा किसी अन्य विषय को उठाने की अनुमति नहीं दी। इस पर तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। इसके बाद उपसभापति ने सदन की बैठक दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी।

इससे पहले उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर नायडू ने सूचित किया कि उन्हें कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, माकपा के टी के रंगराज और इलामारम करीम, माकपा के विनय विश्वम तथा बसपा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने एनपीआर तथा सीएए पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं।

नायडू ने यह भी बताया कि भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ने संबंधित मुद्दे पर चर्चा के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि सदस्य राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने अपने मुद्दे उठा सकते हैं, इसके लिए शून्यकाल स्थगित करना आवश्यक नहीं है।

सभापति ने कहा कि सदस्यों के समक्ष विकल्प मौजूद हैं और राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि विभिन्न मुद्दे उठाने के लिए बेहतरीन आधार है। नायडू जब अपनी बात कह रहे थे, उसी दौरान कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, माकपा के टी के रंगराजन तथा अन्य सदस्य अपने अपने मुद्दे उठाने पर जोर देने लगे।