सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर-दिसंबर 2019 के चार महीनों में देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.5 फीसदी तक पहुंच गई। सीएमआईई रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उच्च शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर 60 पीसदी तक पहुंच गई। हालांकि सरकार को ऐसा लगता प्रतीत नहीं होता तभी तो बेरोजगारी के उच्चतम आंकड़ें आने के बाद भी सरकार ने अपने वित्त बजट में ग्रामीण रोजगार पर विशेष ध्यान नहीं दिया|

दरअसल केंद्र सरकार ने शनिवार (1 फरवरी, 2020) को वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में ग्रामीण विकास विभाग के तहत विभिन्न प्रमुख योजनाओं के लिए आवंटन घटाकर 1.20 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 1.22 लाख करोड़ रुपए था। इसके अलावा रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के लिए आवंटन में 9,500 रुपये की कटौती की गई है। बजट दस्तावेजों के मुताबिक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए 61,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह 2019-20 के कुल अनुमानित व्यय यानी 71,001.81 करोड़ रुपए से 13 प्रतिशत कम है।

हालांकि ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 2020-21 में मनरेगा के लिए वास्तविक व्यय आवंटित कोष से अधिक या इस साल के अनुमानित व्यय के बराबर रहेगा। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि 2008-14 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में मनरेगा के तहत कुल खर्च 1.91 लाख करोड़ रुपए रहा। यह 2014 से 2020 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में बढ़कर 2.95 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। हालांकि, अन्य प्रमुख योजनाओं मसलन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई), प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) तथा ग्रामीण इलाकों में सड़क और आवास की कल्याण योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ा है।

इसके अलावा केंद्र सरकार सब्सिडी के खर्च को कम करने में भी कामयाब होती दिख रही है। वित्त वर्ष 2020-21 में उर्वरक, खाद्य और पेट्रोलियम को मिलाकर कुल सब्सिडी व्यय 227,794 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। यह 2019-20 के बजटीय अनुमान 301,694 करोड़ रुपए से करीब 80,000 करोड़ रुपए कम है। हालांकि चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान 227,255 से यह 539 करोड़ रुपए अधिक है। बजट दस्तावेजों के अनुसार 2020-21 में उर्वरक सब्सिडी 71,309 करोड़ रुपए, खाद्य सब्सिडी 1,15,570 करोड़ रुपए तथा पेट्रोलियम सब्सिडी 40,915 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।

वहीं संशोधित बजट अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी खर्च 79,998, खाद्य सब्सिडी 108,688 तथा पेट्रोलियम सब्सिडी खर्च 38,569 करोड़ रुपए रहेगा। वित्त वर्ष 2018-19 में केंद्र का सब्सिडी पर खर्च 196,769 करोड़ रुपए था। सरकार का ब्याज मद में खर्च बढ़कर 2020-21 में बढ़कर 7,08,203 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जबकि 2019-20 के संशोधित अनुमान में यह 6,25,105 लाख करोड़ रुपये आंका गया है। बजट दस्तावेज के अनुसार सरकार का पेंशन मद में खर्च 2020-21 में 2,10,682 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जो 2019-20 के संशोधित अनुमान में 1,84,147 करोड़ रुपए था।