नई दिल्ली: वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) की शेयर बाजारों में लिस्टिंग अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में हो सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए अगले वित्त वर्ष में एलआइसी के आइपीओ की घोषणा की। सरकार आइपीओ के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेचेगी।

वित्त सचिव ने एक इंटरव्यू में कहा कि एलआइसी की लिस्टिंग के लिए कई औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। इसके लिए कानूनी बदलाव लाने की भी आवश्यकता होगी। विधि मंत्रालय की सलाह लेकर कानून में बदलाव किया जाएगा और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। हमने प्रोसेस शुरू कर दिया। लेकिन लिस्टिंग करना अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में संभव होगा।

कुमार ने कहा कि लिस्टिंग होने से एलआइसी में पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे जनता की भागीदारी बढ़ने के साथ शेयर बाजार की गहराई बढ़ेगी। कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक इसके बारे में फैसला नहीं हुआ है लेकिन 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचना तर्कसंगत होगा।

वित्त सचिव के अनुसार एलआइसी लिस्टिंग और आइडीबीआइ में हिस्सेदारी घटाने से 90,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की संभावना है। सरकार ने कुल 2.10 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से प्राप्त होने का लक्ष्य तय किया है। सरकार के पास एलआइसी की 100 फीसदी और आइडीबीआइ की 46.5 फीसदी िहस्सेदारी है।

सरकार का मानना है कि शेयर बाजारों में लिस्टिंग से किसी भी कंपनी में अनुशासन बढ़ता है और वित्तीय बाजार तक उसकी पहुंच होती है। इससे कंपनी की वैल्यू सामने आने के साथ ही शेयर बाजार में छोटे निवेशकों को अच्छा अवसर मिलता है। एलआइसी की लिस्टिंग से बाजार में डेप्थ बढ़ेगी। हालांकि श्रम संगठनों खासकर आरएसएस से जुड़े श्रम संगठनों ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे खराब अर्थव्यवस्था बताया है।